रविवार, 5 अप्रैल 2009
प्रिय पाठकगण!
‘लीक से हटकर’ का विशेष अंक आपके सामने है। हमारा यह विशेष अंक समर्पित है चम्पारण की उस ऐतिहासिक धरती को जहां से बापू ने इस देश को गोरों की दासता से आज़ादी दिलाने में अहम रोल अदा किया था। वह चम्पारण जो आदि कवि महर्षि वाल्मिकी की साधना स्थली है। यह अंक समर्पित है उस पवित्र धरती को जो न सिर्फ महात्मा गांधी की पहली प्रयोगभूमि रही बल्कि लव-कुश की जन्मस्थली, तपस्वी ध्रुव की तपस्थली, चाणक्य, अशोक, बुद्ध तथा हर्षवर्धन का हृदय सील है।
बहरहाल, इन दिनों लोकसभा चुनाव का मौसम है। राजनीति हो रही है, मुद्दे उछाले जा रहे हैं, उपलब्धियाँ गिनाई जा रही हैं, वोट मांगे जा रहे हैं। सत्ता की इस लड़ाई पर देशभर की नज़र है। ऐसे में सत्याग्रह की यह भूमि अछूती कैसे रह सकती है। पूरे देश की नज़र हमारे चम्पारण के बेतिया संसदीय क्षेत्र पर है। बड़े-बड़े दिग्गज अपनी किस्मत की आजमाईश इस धरती से कर रहे हैं। बड़े-बड़े वादे व दावे किए जा रहे हैं। पर उन वादों का सच आपके सामने रहना चाहिए। इस संबंध में हमने सूचना के अधिकार के माध्यम से मिले हक़ीक़तों को अपने इस मासिक पत्रिका के माध्यम से आपके समक्ष रखने का प्रयत्न किया है।
सच पूछे तो हमारा राजनीति से कोई खास वास्ता नहीं है। हमारा मक़सद आपको जागृत करना है और सूचना के अधिकार कानून की ताकत से रुबरु कराना है, ताकि अब कोई नेता आपको ठग न सकें। आप उनके कामों से अंजान न रहे। आपको पता रहे कि आप कितने लाख के बने सड़क पर चल रहे हैं, ताकि अपने-आप पर फख्र महसूस कर सके। हमारे नेताओं को भी इस बात का एहसास रहे कि अपनी जनता से विकास के झूठे वायदे न करें। बल्कि बगैर वायदे के कामों को करने की आदत डाल लें तो बेहतर होगा। वरना आंदोलन की यह धरती कभी भी आपके खिलाफ सत्याग्रह छेड़ सकती है।
अंतत: हमारे बेतिया के पाठकों से यही अनुरोध है कि अपना क़िमती वोट किसी भी नेता को देने से पहले यह शपथ ले लें कि हम अपना किमती वोट दे रहे हैं तो ज़रुरत पड़ने पर हिसाब भी लेंगे, क्योंकि आपके पास सूचना का अधिकार जो मौजूद है।
धन्यवाद....
अफ़रोज़ आलम साहिल
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