भूखा नमाज़ी मस्जिद के चिराग से तेल चुराकर खाना बना ले तो क़ौम उसे माफ़ भी कर दे. लेकिन अगर ईमाम ही मस्जिद को निगलने का इरादा बना ले (या निगल जाए) तो उसे माफ़ करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. पर, मैं अपने इस लेख में जिस गुनाह की बात करने जा रहा हूं वो नमाज़ी के मस्जिद से तेल चुराने या ईमाम के मस्जिद को बेचने से भी बड़ा है.
कर्नाटक माईनॉरिटी कमीशन की एक रिपोर्ट (अल्लाह करे ये रिपोर्ट झूठी हो) के मुताबिक खुद मुसलिम क़ौम के रहबरों ने कर्नाटक में दो लाख करोड़ रुपए की वक़्फ़-संपत्ति बेच दी है. करीब सात हज़ार पन्नों की यह रिपोर्ट कर्नाटक माइनॉरिटी कमीशन ने तीन महीने की छानबीन के बाद तैयार की है. पिछले साल नवंबर में कर्नाटक सरकार ने कमीशन को राज्य में हुए वक्फ बोर्ड घोटाले की छानबीन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. कमीशन ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को यह रिपोर्ट सौंपी, जिसे अगले दिन राज्य की विधानसभा में पेश किया गया.
इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में वक्फ बोर्ड की 54 हजार एकड़ संपत्ति में से करीब 27 हजार एकड़ संपत्ति का दुरुपयोग हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक करीब दो लाख करोड़ रुपए की इस संपत्ति को पिछले दस सालों में राज्य के कई बड़े नेता, अफ़सर और बिल्डर निगल गए. इस रिपोर्ट का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि जिन 38 नेताओं और अधिकारियों का नाम इस रिपोर्ट में आए हैं, उनमें से अधिकतर मुस्लिम कौम के रहनुमा हैं और बड़े ओहदों पर रहकर कौम की रहनुमाकर कर चुके हैं या कर रहे हैं, और जिनसे यह उम्मीद की जा सकती थी कि वो अपने क़ौम की रहनुमाई के साथ-साथ उसकी जायदादों की भी रक्षा करेंगे. बहरहाल, रिपोर्ट में राज्यसभा के सांसद और उपाध्यक्ष के.रहमान खान, पूर्व वक्फ मंत्री सी.के.आई. इब्राहिम, पूर्व वक्फ मंत्री आर. रोशन बेग, शांतिनगर के एमएलए एन.ए हारिस, पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.के. जाफर शऱीफ, आईएएस अधिकारी मोहम्मद सनाउल्ला और पूर्व केएएस अधिकारी एम.ए. खलीज और माज़ अहमद शरीफ पर वक्फ बोर्ड की संपत्ति हड़पने का आरोप है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के बड़े सियासतदारों ने अधिकारियों, दलालों, माफिया और बिल्डरों के साथ मिलकर वक्फ बोर्ड की करीब आधी संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया. कर्नाटक में वक्फ बोर्ड सबसे अमीर इदारा है. जितनी संपत्ति कर्नाटक वक्फ बोर्ड के पास है उतनी किसी के भी पास नहीं है.
वक्फ बोर्ड की मिलकियत गरीबों के हितों के लिए होती है लेकिन जिस तरीके से कर्नाटक में यह घोटाला हुआ है उसने न सिर्फ देश बल्कि कौम के सामने गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
सबसे बड़ा सवाल है कि जब कौम के रहबर ही रहजन हो जाए तो फिर किस रास्ते पर चला जाए.? एक और सवाल यह है कि क्या मुसलमानों का ईमान इतना कमजोर हो गया है कि वो अब मस्जिदों, मदरसों और मिस्किनों की मिलकियत को बेचकर अपने पेट को बड़ा करने लगे हैं.?
ये सब सवाल तो सतही हैं, असल सवाल यह है कि इतने मुश्किल हालातों से निकला कैसे जाए, मुल्क और कौम की बेशकीमती वक्फ संपत्तियों को बचाया कैसे जाए और कौम और देश के इन गुनाहगारों से निपटा कैसे जाए?
यह हक़ीक़त है कि कोई एक कमीशन या जांच कमेटी इतने बड़े घोटाले को न तो रोक सकती है और न ही सभी गुनाहगारों को सजा ही दिला सकती है. ये मसला किसी एक पर हुए जुल्म का भी नहीं है. यहां जिम्मेदारी पूरी मुस्लिम कौम की बनती है. अब वक्त आ गया है जब कौम से जुड़े हर नेक दिल और ईमानदार इंसान को अपनी आंखें खोलनी होंगी और वक्फ की संपत्ति को अपनी संपत्ति मानकर उसे बचाने के लिए आगे आना होगा.
यह पूरी कौम की अना का भी मसला है. ईमानदारी ही जिस कौम का मूल सिद्धांत हो उसमें ही इतने बड़े पैमाने पर संपत्तियों को बेच दिया जाए तो जाहिर सी बात है इस्लाम पर भी सवाल उठने लाजिमी हैं. कर्नाटक में हुए वक्फ घोटाले की अभी सिर्फ रिपोर्ट ही आई है, जांच होना बाकी है. पूरा सच जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन इस घोटाले ने यह साफ कर दिया है कि जब तक हर एक मुसलमान वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए आगे नहीं आएगा तब तक यह बेशकीमती संपत्तियां सुरक्षित नहीं हैं.
हम व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करके भी इन संपत्तियों की रक्षा कर सकते हैं. बस इसके लिए हमें थोड़ा जागरुक होना होगा. सूचना का अधिकार कानून और नए ज़माने की तकनीक इसमें बहुत मददगार साबित होंगी. सबसे पहले तो हर मुसलमान को अपने इलाके की वक्फ संपत्तियों का इल्म होना चाहिए. इसके लिए सूचना के अधिकार के तहत वक्फ संपत्तियों की सूची मांगी जा सकती है. आप अपने जिले के कार्यालय या फिर राज्य के वक्फ बोर्ड से सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर इनके बारे में जानकारी मांग सकते हैं.
और हां, वक्फ संपत्तियों की हिफाज़त के लिए किसी कमीशन या काउंसिल पर निर्भर रहने के बजाए हमें अपनी खुद की आंखे खोलनी होंगी. वक्फ संपत्तियों के बारे में जानकारी हासिल करना हर मुसलमान को अपना फर्ज समझना होगा. अगर हम अभी नहीं जागे तो न नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदें होंगी और न भूखों के तेल चुराने के लिए चराग़....
अफ़रोज़ आलम साहिल