रविवार, 5 अगस्त 2012

बेचारा अन्ना का समर्थक...


सोमवार, 16 अप्रैल 2012

देश के इन गुनाहगारों से निपटा कैसे जाए?


भूखा नमाज़ी मस्जिद के चिराग से तेल चुराकर खाना बना ले तो क़ौम उसे माफ़ भी कर दे. लेकिन अगर ईमाम ही मस्जिद को निगलने का इरादा बना ले (या निगल जाए) तो उसे माफ़ करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. पर, मैं अपने इस लेख में जिस गुनाह की बात करने जा रहा हूं वो नमाज़ी के मस्जिद से तेल चुराने या ईमाम के मस्जिद को बेचने से भी बड़ा है.

कर्नाटक माईनॉरिटी कमीशन की एक रिपोर्ट (अल्लाह करे ये रिपोर्ट झूठी हो) के मुताबिक खुद मुसलिम क़ौम के रहबरों ने कर्नाटक में दो लाख करोड़ रुपए की वक़्फ़-संपत्ति बेच दी है. करीब सात हज़ार पन्नों की यह रिपोर्ट कर्नाटक माइनॉरिटी कमीशन ने तीन महीने की छानबीन के बाद तैयार की है. पिछले साल नवंबर में कर्नाटक सरकार ने कमीशन को राज्य में हुए वक्फ बोर्ड घोटाले की छानबीन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. कमीशन ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को यह रिपोर्ट सौंपी, जिसे अगले दिन राज्य की विधानसभा में पेश किया गया.

इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में वक्फ बोर्ड की 54  हजार एकड़ संपत्ति में से करीब 27 हजार एकड़ संपत्ति का दुरुपयोग हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक करीब दो लाख करोड़ रुपए की इस संपत्ति को पिछले दस सालों में राज्य के कई बड़े नेता, अफ़सर और बिल्डर निगल गए. इस रिपोर्ट का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि जिन 38 नेताओं और अधिकारियों का नाम इस रिपोर्ट में आए हैं, उनमें से अधिकतर मुस्लिम कौम के रहनुमा हैं और बड़े ओहदों पर रहकर कौम की रहनुमाकर कर चुके हैं या कर रहे हैं, और जिनसे यह उम्मीद की जा सकती थी कि वो अपने क़ौम की रहनुमाई के साथ-साथ उसकी जायदादों की भी रक्षा करेंगे. बहरहाल, रिपोर्ट में राज्यसभा के सांसद और उपाध्यक्ष के.रहमान खान, पूर्व वक्फ मंत्री सी.के.आई. इब्राहिम, पूर्व वक्फ मंत्री आर. रोशन बेग, शांतिनगर के एमएलए एन.ए हारिस, पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.के. जाफर शऱीफ, आईएएस अधिकारी मोहम्मद सनाउल्ला और पूर्व केएएस अधिकारी एम.ए. खलीज और माज़ अहमद शरीफ पर वक्फ बोर्ड की संपत्ति हड़पने का आरोप है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के बड़े सियासतदारों ने अधिकारियों, दलालों, माफिया और बिल्डरों के साथ मिलकर वक्फ बोर्ड की करीब आधी संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया. कर्नाटक में वक्फ बोर्ड सबसे अमीर इदारा है. जितनी संपत्ति कर्नाटक वक्फ बोर्ड के पास है उतनी किसी के भी पास नहीं है.

वक्फ बोर्ड की मिलकियत गरीबों के हितों के लिए होती है लेकिन जिस तरीके से कर्नाटक में यह घोटाला हुआ है उसने न सिर्फ देश बल्कि कौम के सामने गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

सबसे बड़ा सवाल है कि जब कौम के रहबर ही रहजन हो जाए तो फिर किस रास्ते पर चला जाए.? एक और सवाल यह है कि क्या मुसलमानों का ईमान इतना कमजोर हो गया है कि वो अब मस्जिदों, मदरसों और मिस्किनों की मिलकियत को बेचकर अपने पेट को बड़ा करने लगे हैं.?

ये सब सवाल तो सतही हैं, असल सवाल यह है कि इतने मुश्किल हालातों से निकला कैसे जाए, मुल्क और कौम की बेशकीमती वक्फ संपत्तियों को बचाया कैसे जाए और कौम और देश के इन गुनाहगारों से निपटा कैसे जाए?

यह हक़ीक़त है कि कोई एक कमीशन या जांच कमेटी  इतने बड़े घोटाले को न तो रोक सकती है और न ही सभी गुनाहगारों को सजा ही दिला सकती है. ये मसला किसी एक पर हुए जुल्म का भी नहीं है. यहां जिम्मेदारी पूरी मुस्लिम कौम की बनती है. अब वक्त आ गया है जब कौम से जुड़े हर नेक दिल और ईमानदार इंसान को अपनी आंखें खोलनी होंगी और वक्फ की संपत्ति को अपनी संपत्ति मानकर उसे बचाने के लिए आगे आना होगा.

यह पूरी कौम की अना का भी मसला है. ईमानदारी ही जिस कौम का मूल सिद्धांत हो उसमें ही इतने बड़े पैमाने पर संपत्तियों को बेच दिया जाए तो जाहिर सी बात है इस्लाम पर भी सवाल उठने लाजिमी हैं. कर्नाटक में हुए वक्फ घोटाले की अभी सिर्फ रिपोर्ट ही आई है, जांच होना बाकी है. पूरा सच जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन इस घोटाले ने यह साफ कर दिया है कि जब तक हर एक मुसलमान वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए आगे नहीं आएगा तब तक यह बेशकीमती संपत्तियां सुरक्षित नहीं हैं.

हम व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करके भी इन संपत्तियों की रक्षा कर सकते हैं. बस इसके लिए हमें थोड़ा जागरुक होना होगा. सूचना का अधिकार कानून और नए ज़माने की तकनीक इसमें बहुत मददगार साबित होंगी. सबसे पहले तो हर मुसलमान को अपने इलाके की वक्फ संपत्तियों का इल्म होना चाहिए. इसके लिए सूचना के अधिकार के तहत वक्फ संपत्तियों की सूची मांगी जा सकती है. आप अपने जिले के कार्यालय या फिर राज्य के वक्फ बोर्ड से सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर इनके बारे में जानकारी मांग सकते हैं.

और हां, वक्फ संपत्तियों की हिफाज़त के लिए किसी कमीशन या काउंसिल पर निर्भर रहने के बजाए हमें अपनी खुद की आंखे खोलनी होंगी. वक्फ संपत्तियों के बारे में जानकारी हासिल करना हर मुसलमान को अपना फर्ज समझना होगा. अगर हम अभी नहीं जागे तो न नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदें होंगी और न भूखों के तेल चुराने के लिए चराग़....

अफ़रोज़ आलम साहिल

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

Year Wise Funding of Political Parties

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines
New Delhi.  You see Netas spending millions in election campaigns and wonder where this money came from, especially when all political leaders all white words when it comes to their funding. BeyondHeadlines had compiled list of donations to all political parties. This information is received by RTI.
Have a look for yourself at funding of various political parties

S.No.
Political Party
2010-11
1.
All India Congress Committee
8,04,49,284
2.
Nationalist Congress Party
13,55,000
3.
Communist Party of India
1,98,11,465
4.
Telugu Desam,
72,64,116
5.
Janta Dal (United)
80,90,000
6.
Rashtriya Janta Dal
30,00,000
7.
Lok Janshakti Party
Nil
8.
Shiromani Akali Dal
Nil
9.
Dravida Munnetra Kazhagam
10,02,16,650
10.
All India Anna Dravida Munnetra Khzhagam
2,52,19,000
11.
Shivsena
1,26,44,000
12.
Lok Satta Party
3,00,000
13.
Third View Party
Nil
14.
All India Majlis-e- Ittehad ul Muslimeen
Nil
15.
Bhartiya National Janta Dal
Nil
16.
All India Liberal Party
Nil
17.
Ambedkarbadi Party
Nil
18.
Desia Padukappu Khazagam
Nil
19.
Haryana Janhit Congress
Nil
20.
Hindusthan Nirman Dal
87,701
21.
Mahan Dal
3,32,000
22.
Maulik Adhikar Party
Nil
23.
People Democratic Forum
Nil
24.
Rani Chennama Party
19,500


Funding List of Political Parties in Year 2009-10

Funding List of Political Parties in Year 2008-09

Funding List of Political Parties in Year 2007-08

Funding List of Political Parties in Year 2006-07

Funding List of Political Parties in Year 2005-06

Funding List of Political Parties in Year 2004-05

Funding List of Political Parties in Year 2003-04
http://beyondheadlines.in/2012/02/funding-list-of-political-parties-in-year-2003-04/

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

Statement of clarification in reference of legal notice relating to NDTV program on 18 January 2012.

To,
Vice Chancellor
Jamia Millia Islamia

Through: Mr. Atyab Siddiqi, Counsel Jamia Millia Islamia.

Sub: Statement of clarification in reference of legal notice relating to NDTV program on 18 January 2012.
Sir,
This with reference to your notice, I wish to offer my unconditional apology which I have already made through media and in my blog clarifying my position towards this esteemed university and which is also my mathar-e-ilimi. First of all I withdraw my statement made on NDTV on 18 January with regard to 10 Lakh rupees which was given by a political leader. Since last some weeks, there is an unwanted misunderstanding because of my social and media activities, I wish to use this opportunity to explain my real motives and reasons which are never directed by any kind of negative feelings for this great institution. My statement during discussion at NDTV was never motivated by any malice or enmity for this reputed institute, rather I am part of this university and its fame or shame. My statement was also not directed to any individual of Jamia.
My statement was in response of Mr. Shahid Siddiqi of Samajwadi Party who accused me of supporting Congress Party and said that Congress is playing politics on the issue. I responded that your party was also part of politics and has donated 10 lakh rupees to Jamia. With my statement, I was not thinking that the discussion will be immediately stopped on the issue I raised. I was saying this in sequence of another sentence that “Jamia isbat ka jawab apni RTI me nahi de rahi hai”.
Let me confess the fact that I am not aware who was actually donated the money, either Jamia of Jamia Old Boys Association and even media reports were confusing. Out of this confusion, I had also filed an RTI to know who holds that money and how is that spent.
With regard to my activities, I had sought appointment of Mr. Vice Chancellor many times to clarify what I am really doing and to seek his suggestions and guidance as well however I was never given a chance to meet the VC sahab. First time after the NDTV, VC has clarified in a press statement that Jamia has nothing to do with the donation and I was convinced with his statement which I was looking for many months.
Anchor of NDTV program had immediately stopped the discussion on the issue and stated that my argument will not be subscribed at all because Jamia representative is not present. With this end statement, the issue of Jamia remained closed with his clear rejection of the statement. The confusion was also because of status of JOBA which I thought is part of Jamia which officially is not.
With this clarification about my real motives behind the statement, it is understandable that I never intended to defame Jamia at all and I once again offer my unconditional apology and withdraw my statement. I also promise that in future my activities will only to support this great institution towards achieving its noble goals for which its official are striving. I also wish to withdraw my all RTI Application filed in this regard to PIO, Jamia Millia Islamia. 
I shall be grateful for you if you accept my statement of apology. I seek your guidance and support to make my efforts really useful and purposeful.

Sincerly

Afroz Alam Sahil

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

मैं ख्वाब में भी जामिया को बदनाम नहीं कर सकता...

कई दिनों से खुद से ही एक अजीब सी जंग लड़ रहा हूं. हर रोज़ एक सवाल मेरे सामने आता है कि क्या मैं जामिया पर कोई दाग लगा सकता हूं? मेरे लिए होश में ऐसा ख्याल लाना तो दूर की बात है मैं बेहोशी के आलम में भी ऐसा नहीं सोच सकता.
जामिया से मेरा रिश्ता सात जनम का तो नहीं लेकिन सात साल का ज़रूर है. जामिया की तालीम ने ही मेरे ख्यालों को रौशन किया है. यहां की आबो-हवा में ही मेरे जज्बे ने मज़बूती पाई है. मैं जो हूं उसके लिए जामिया का शुक्रगुजार हूं और हमेशा रहूंगा. जामिया ने ही मुझे जीने का मकसद और इंसाफ के लिए लड़ने का हौसला दिया है.
19 सितंबर 2008 को जब बटला हाउस में हुए पुलिस एनकाउंटर में जामिया के छात्रों की मौत और कई गिरफ्तारियां हुईं तो उसके बाद जामिया कई सवालों के घेरे में आ गई, तब मैंने जामिया पर लगे दागों को धोने को अपनी जिंदगी का मक़सद बना लिया. मैं उस वक्त पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था. मैंने एक सवाल खुद से किया कि अगर मैं इंसाफ के लिए आज आवाज़ नहीं उठा सकता तो कल किसी भी मामले पर लिखने कैसे बैठ सकता हूं? 
जामिया पर गहरे दाग़ लगे थे. अख़बारों की सुर्खियां जामिया के छात्रों को आतंकी बता रही थी. बटला हाउस का सच ही जामिया पर लगे दागों को धो सकता था और मैंने अपना सबकुछ बटला हाउस एनकाउंटर का सच सामने लाने में लगा दिया. इसलिए नहीं कि मारे गए या गिरफ्तार हुए छात्र मेरे क़रीबी थे या उनसे मेरा कोई भी रिश्ता था, हादसे से पहले मैं उनके नाम तक से वाकिफ़ नहीं था,  बल्कि सिर्फ इसलिए क्योंकि वो जामिया के छात्र थे.
ये जिक्र करना ज़रूरी नहीं है कि बटला हाउस मामले के सच को सामने लाने के लिए मैंने क्या-क्या किया है लेकिन ये जिक्र करना ज़रूरी है कि मैंने ऐसा क्यों किया है. सत्य, अहिंसा, आपसी सौहार्द और देश प्रेम जैसे लोकतांत्रिक मूल्य जामिया में पढ़ाई के दौरान ही मैंने खुद में विकसित किए. यहां की तालीम ने ही मुझे हक़ के लिए लड़ना सिखाया. मैंने जामिया में जो कुछ भी किताबों में पढ़ा उसे अपने चरित्र का हिस्सा बना लिया.
मैं बटला हाउस एनकाउंटर के सच को सामने लाने की लड़ाई इसलिए लड़ रहा हूं क्योंकि मैं उन सवालों का जवाब चाहता हूं जो अक्सर मुझे बैचेन करते हैं. क्योंकि मैं जानना चाहता हूं कि मेरे हमवतनों को किन से ज्यादा ख़तरा है. यह हक़ की लड़ाई है, यह जिंदगी की लड़ाई है. अगर बटला हाउस एनकाउंटर सही साबित हुआ तब भी मुझे सुकून मिलेगा क्योंकि इससे हमारी सरकार और सुरक्षाबलों में मेरा विश्वास और भी ज्यादा बढ़ जाएगा.  और अगर यह फर्जी साबित हुआ तो देश की जनता को पता चल जाएगा कि किन से उन्हें ज्यादा ख़तरा है. मैं तब तक यह लड़ाई लड़ता रहूंगा जब तक सच को जानने की बैचेनी मुझमें रहेगी. और मैं यह मानता हूं कि लोकतंत्र में मुझे सच जानने का उतना ही अधिकार है जितना की खुली हवा में आजादी से सांस लेने का. 
मैं बटला हाउस के लिए हर मंच से तब तक आवाज़ उठाता रहूंगा जब तक सच सामने नहीं आएगा. हाल ही मैं एनडीटीवी इंडिया में हुई एक बहस में दिए गए मेरे एक बयान पर मेरी खुद की जामिया ने मुझे जामिया को बदनाम करने का कानूनी नोटिस भेजा है. मेरे लिए यह बहुत दुख की बात है कि जिस संस्थान पर लगे दागों को धोने के लिए मैंने जिंदगी के तीन साल लगा दिए वो ही मेरे इरादों पर शक करता है. हो सकता है कि कानूनी रूप से मेरा बयान गलत हो लेकिन मेरा इरादा कभी भी जामिया को बदनाम करने का नहीं था. यदि फिर भी जामिया को लगता है कि मैंने जान-बूझकर यह बयान दिया तो मुझे इस बात का अफ़सोस है और मैं बिना किसी शर्त के अपना बयान वापस लेता हूं.
जिन सिद्धांतो और मूल्यों पर जामिया की बुनियाद है, मैं भी उन्हीं पर खड़ा हूं. मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि मैं ऐसा कुछ भी न कर सकता हूं और न करूंगा जिससे जामिया पर कोई धब्बा लगे. 
                                                        अफ़रोज़ आलम साहिल

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

Urgent attention towards victimization of social and RTI activists because of his activism.

To,                                                                                                        Date: 20.01.2012
Shri Satyananda Mishra
Chief Information Commissioner
Room No.306, II Floor, August Kranti Bhavan
Bhikaji Cama Place, New Delhi - 110 066.

Sub: Urgent attention towards victimization of social and RTI activists because of his activism

Dear Sir

This is to inform you that I am Afroz Alam Sahil, an M. Phil student at the Jamia Millia Islamia, New Delhi. I was trained as a Journalist at the Jamia’s reputed Department of Mass Communication and Journalism where I had completed my MA in 2010. I belong to a poor family from Bihar and my father is no more but still my passion to be a good Journalist brought me to Jamia Millia Islamia where I qualified the national level entrance exam of Mass Communication course. Owing to my profession and my passion for social causes, I started working with Right to Information campaigners in order to educate people on their rights as granted by the Constitution of India and other Acts passed by legislature. So far I have filed 5000 RTI application and have successfully helped many victims of misgovernance, human rights violation case and corruption in public offices. I am not affiliated with any political party, any interest group and I am just a regular student at Jamia Millia Islamia. Because of my campaign, I had been threatened many times by powerful and rogue elements but I didn’t give up my RTI activism.

As an RTI Activist I have been involved with the following things:

·        Since inception of RTI Act-2005, I am working as a RTI activist (filed more than 5 thousand RTI applications) and taken more than one hundred valuable information from Different Government Departments, which made to the national and international headlines.
·        Publication of more than 500 articles in Hindi, Urdu and English in national dailies, periodicals on RTI.
·        Run at least two active blog magazines on RTI available online (www.beyondheadlines.in, http://suchnaexpress.blogspot.com.)
·        Work on Right to Information Act-2005, especially for Bihar and Delhi’s Youth (DU, IPU, JNU, IIT Delhi and Jamia) with different NGOs and different RTI Activist like Aruna Roy, Arvind Kejriwal, Sandeep Pandey, Nikhil Dey, Shankar Singh, Manish Sisodia, Suchi Pandey etc.
·        Attended a number of Social Audit activities in Rajasthan with Aruna RoyNikhil Dey and Jean Drèze.
·        Research on Section— 4 of RTI Act—2005 and RTI and Media.
·        Worked for Three Year in Sarojani Naidu Centre, JMI as a volunteer.
·        Organised many Campaign in West Champaran (Bihar) on Right to Information Act—2005.

Since last six months, I have started a campaign to ensure more democratic rights for students studying at Jamia Millia Islamia where election of Students Union had not been allowed since 2006. There are many issues which include fellowships, hostel allotment, health services and security for women students which I raised by my campaign letters,handbills and letters to professors and faculty members. We had clearly stated that we will use RTI act as an important tool for this campaign because Jamia Milia Islamia administration does never reply any formal letters of student rather it just calls the complainant and try to teach him/her a lesson. Because of my campaign, Jamia students started to talk about democracy and their rights as student and there was enormous pressure on Jamia to respond to the students’ demand to establish at least Students Grievance Cell. (some RTI, press statements, letters and news coverage of the Forum for Students Democracy are available on http://forumforstudentdemocracy.blogspot.com)

It is very sad to inform you that administrators of this institute had been harassing me since last six months. First of all they appointed an escort to vigil my activities and then I suddenly found that my attendance has become short even though I was very regular in my classes and had maintained good attendance which I am very much able to prove (Poof enclose). I was summoned by proctor office many times to be warned about my RTI activities, journalistic publications and presentations. Just last month, I was called by Delhi police (special cell) also about my alleged objectionable activities which were later found to be baseless. Jamia has regularly discouraged my RTI activism and has not even properly responded my RTI queries. I must state that I maintain highest possible esteem and respect for Jamia and its dignitaries and do not have any sort of personal animosity against any of them. My all activities are directed by goodwill and full faith on our constitutional rights which Jamia administration has many times failed to fulfil. I do not have any political affiliation nor have any influential powerful background that I pose any threat to anybody. I publish regular columns on many newspapers, make documentaries, run blogs, and part of some social awareness campaigns and have been honoured too by some groups for my services. (My CV is attached as proof)
Recent Case: 50 Lakh Rupees claim from me

On 18 January 2011, I had participated in a public debate ‘Prime Time’ on NDTV India in which I, as one of the panelist along with others spoke over the misuse of 10 lakh rupees by Jamia Millia authorities which Samajwadi Party had donated for legal assistance to the Batla House encounter victims. There is no iota of doubt that Samajwadi Party had given this money to the Jamia Old Boys Association for legal assistance of the victim students. Jamia Old Boys Association is very much part of Jamia which maintains its office within Jamia Millia Islamia and is active part of Jamia along with Jamia Students Union, Jamia Teachers Association. Jamia administration at that time had itself constituted some funds to provide legal assistance to victims in which Jamia students and teachers have also generously donated. I had filed an RTI application in Jamia about how the money has been spent till date.

Under the pretext of my one statement “Jamia das lakh rupiya kha gaya” Jamia has sent me a legal notice to publish unconditional apology by publishing and printing at prominent place of at least three national dailies and to make NDTV air a clarification of my statement, failing which a penal action will be initiated against me to the tune of 50 Lakh rupees. I have been asked to reply the notice within one week. (copy of legal notice enclosed)

 In view of the abovementioned facts and evidences I put the following request to you:

Sir,
Although I have decided to respond the notice with my best capacity, the prima facie motivation of this notice is nothing but to intensify its harassment against me and targeting me and my career personally. Can a university ask its student to pay this much amount for an alleged offence? Did any university ever punish any of its students like this? My rights as student have been regularly violated and I am being harassed at regular basis and now I am asked to pay a fine which is beyond capacity of my entire family wealth. Does constitution of Jamia or an education institution allow initiating an action against its student to this extent?

I request you to direct Jamia administration to stop my harassment and targeting me because of my RTI activism and journalistic publications and my social activism for ensuring the rights of other citizens. Please ask Jamia Millia Islamia about the real intentions and reasons of slapping this type of legal notice even though I am a regular student of the university. I shall be extremely grateful to you if you ask Jamia to withdraw the notice and initiate its action, if necessary, within Jamia’s proctorial guidelines which give students many protections from such harassments. 

Because of this legal notice, I am very much disturbed and my poor parents, whose total property is not worth of 50 lakhs, are very afraid of my future. My journalistic profession and RTI Activism has also been seriously threatened and my basic human rights to enjoy full rights as a student are violated. I request you to look into the matter as on urgent basis so that Jamia does not drag me into painful legal battle which I and my parents are not able to afford. I am ready to face any inquiry and show cause given by Jamia’s proctor office and I am able to defend my position within that forum.


I am also afraid of my life after Jamia administration has started to target me specifically to make me vulnerable to powerful and rogue elements and other groups who might get exposed because of my social and RTI activism. It is very urgent to ensure that Jamia Milia Islamia administration stop targeting the students who are exposing maladministration and corruption through the help of RTI activism.


Thanks and Regards

Yours sincerely

Afroz Alam Sahil
F-56/23, Sir Syed Road,
Batla House, Okhla, New Delhi-25.



Enclosures:

ü  Notice of Jamia’s advocate Mr. Atyab Siddiqi to comply demands or face 50 Lakh rupees compensation.
ü  My Curriculum Vitae
ü  RTI Campaign for students rights in Jamia
ü  Jamia’s proctor office notices to me and my attendance sheet.