मैं कौन हूँ? मैं क्या हूँ? नाम-पता कुछ मालूम नहीं... मुझे तो बस इतना पता है कि मैं एक छोटा सा बच्चा हूँ,जिसे आपकी रहनुमाई की ज़रूरत है. मैं चंपारण की उस धरती पर जन्मा हूँ, जहाँ से कभी हमारे बापू (गाँधी जी)ने फिरंगियों के खिलाफ 'सत्याग्रह' छेडी थी. ये बातें तो अब पुरानी पड़ चुकी है. लेकिन मुझे अपने शहर की गरीबी,बेचारगी,मायूसी,कत्ल,चोरी,डकैती,बात-बात पर रिश्वत और नेताओं की 'दिलचस्प' राजनीति सोचने को मजबूर करते रहे हैं. हर बार मेरी यही चाहत होती कि हाशिये पर पड़े इन असहाय लोगों को कैसे आगे लाया जाए. क्यूँ न भ्रष्टाचार के खिलाफ 'सत्याग्रह' छेडी जाये. आखिर बापू ने भी तो यही से सत्याग्रह छेडी थी. मैंने अपने 'सत्याग्रह' के शुरुआत की कोशिश तो की,पर बहुत ज्यादा कामयाब न हो सका. यही गम हमें सताता भी रहा और 'मीडिया' में क़दम रखने के लिए प्रेरणास्रोत भी बने. इसी उद्धेश्य के तहत मैंने जामिया के मास मीडिया कोर्स में दाखिला लिया. इन्ही सरोकारों ने अनेको सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर आरटीआई और अन्य सामाजिक मुद्दों पर कार्य करने को मजबूर किया. खैर,अपने सपनो को पूरा करने का मेरा संघर्ष अब भी जारी है. वैसे मेरी अभिलाषा है कि मेरी इन दो आँखों में संजोय हुए सपने अगर सौ आँखों के सपने बनते हैं तो ये मेरा सौभाग्य होगा और मेरी ज़िन्दगी कि सबसे बडी ख़ुशी...