केन्द्रीय सूचना आयोग के आदेश के बावजूद एम्स ने बटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए कथित आतंकी युवकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट करीब एक माह बाद भी सामने आने नहीं दी है। यह रिपोर्ट अब तक सामने न आने से इस मुठभेड़ पर सवालिया निशान लगता रहा है। यह रिपोर्ट हासिल करने के लिए जामिया के छात्र अफरोज आलिम साहिल काफी समय से जद्दोजहद करते रहे हैं।
अफरोज के मुताबिक, उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत दिल्ली पुलिस और एम्स से यह रिपोर्ट हासिल करने की कोशिश की। लेकिन एम्स ने इस आधार पर यह रिपोर्ट देने से मना कर दिया कि ‘यह सूचना मेडिको लीगल रिकॉर्ड्स से संबंधित है’ और ‘इस तरह की सूचना संबंधित अधिकारी, संस्थान या कोर्ट के आदेशानुसार संबंधित लोगों के लिए ही दी जती है।’ दिल्ली पुलिस ने भी इसकी सूचना देने से मना कर दिया।
अफरोज ने बताया कि इसके बाद उन्होंने आयोग का दरवाज खटखटाया। आयोग ने 9 जून को दिए आदेश में एम्स को यह रिपोर्ट देने को कहा। आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अफरोज द्वारा मांगी गई दो सूचनाएं नहीं दी जा सकतीं: पहली, मुठोड़ में मारे गए लोग एम्स में कब लाए गए और दूसरी, अस्पताल ने लाशें पुलिस के हवाले कीं या मारे गए लोगों के परिजनों के। लेकिन आयोग ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ दो अन्य सूचनाएं भी मुहैया कराने को कहा: पहली, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के नाम और पद तथा दूसरी, रिपोर्ट किसने तैयार की?
अफरोज का कहना है कि एम्स के फार्माकोलॉजी के प्रमुख डॉ. वाई.के. गुप्ता का एम्स के ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख एम.सी. मिश्र के नाम 29 जून को लिखा पत्र तो उन्हें मिला है जिसमें आयोग के आदेश का हवाला देते हुए ये सूचनाएं देने को कहा गया है लेकिन सूचनाएं अब तक नहीं मिल सकी हैं।
source:- http://www.beta.livehindustan.com/news/desh/nationalnews/39_39_63522
अफरोज के मुताबिक, उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत दिल्ली पुलिस और एम्स से यह रिपोर्ट हासिल करने की कोशिश की। लेकिन एम्स ने इस आधार पर यह रिपोर्ट देने से मना कर दिया कि ‘यह सूचना मेडिको लीगल रिकॉर्ड्स से संबंधित है’ और ‘इस तरह की सूचना संबंधित अधिकारी, संस्थान या कोर्ट के आदेशानुसार संबंधित लोगों के लिए ही दी जती है।’ दिल्ली पुलिस ने भी इसकी सूचना देने से मना कर दिया।
अफरोज ने बताया कि इसके बाद उन्होंने आयोग का दरवाज खटखटाया। आयोग ने 9 जून को दिए आदेश में एम्स को यह रिपोर्ट देने को कहा। आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अफरोज द्वारा मांगी गई दो सूचनाएं नहीं दी जा सकतीं: पहली, मुठोड़ में मारे गए लोग एम्स में कब लाए गए और दूसरी, अस्पताल ने लाशें पुलिस के हवाले कीं या मारे गए लोगों के परिजनों के। लेकिन आयोग ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ दो अन्य सूचनाएं भी मुहैया कराने को कहा: पहली, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के नाम और पद तथा दूसरी, रिपोर्ट किसने तैयार की?
अफरोज का कहना है कि एम्स के फार्माकोलॉजी के प्रमुख डॉ. वाई.के. गुप्ता का एम्स के ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख एम.सी. मिश्र के नाम 29 जून को लिखा पत्र तो उन्हें मिला है जिसमें आयोग के आदेश का हवाला देते हुए ये सूचनाएं देने को कहा गया है लेकिन सूचनाएं अब तक नहीं मिल सकी हैं।
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1 टिप्पणियाँ:
सूचना का अधिकार सिर्फ एक झुन-झुना है.बज जाए तो ठीक ना बजे तो....!जब सूचना का अधिकार केंद्रीय सूचना आयोग पर ही ना लागू हो,सुप्रीम कोर्ट पर ना लागू हो और वे जब तक स्वंय कानून की धारा 4-5 अपने पर ना लागू करें तब तक क्या आशा हो सकती है और तो और ये काले अँग्रेज कब कुंभकर्णी नींद से जागेगें कि हिंदी में बोल सकें ?!!!!आइये तब तक गाएँ सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा हम .....
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