शुक्रवार, 17 जून 2011

फारबिसगंज घटना की सीबीआई जांच की मांग

अफ़रोज़ आलम साहिल

बिहार में नीतीश कुमार की दलाल मीडिया ने फारबिसगंज गोली कांड को कोई खास महत्व नहीं दिया। जिसके कारण बिहार के लोग ही इस विभत्स घटना से अनभिज्ञ हैं। लोगों के बीच इस घटना को लेकर बिहार के पूर्वांचल इलाक़े में जागरूकता के लिए Committee for Justice to Victims of Forbesganj Firing (CJVFF) ने एक जागरूकता अभियान चलाने का फैसला लिया है।

इसी जागरूकता अभियान के तहत आज पश्चिम चम्पारण के बेतिया शहर में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें लोगों को फारबिसगंज गोली कांड से रूबरू कराया गया। लोगों को इस घटना की जानकारी से काफी हैरानी हुई, साथ ही मीडिया के खिलाफ उन्होंने काफी ज़हर भी उगला। बैठक में शामिल लोगों ने कहा कि नीतीश कुमार की रखैल मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी भूल चुकी है। यह बिहार के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है।

इधर बिहार में सीपीएम ने भी सभी दलों से फारबिसगंज गोली कांड का मुखर विरोध करने की अपील की है। एक प्रेस वार्ता में राज्य सचिव विजयकांत ठाकुर ने आरोप लगाया कि पूर्णिया में केसरी हत्याकांड की तरह सुशील कुमार मोदी इस घटना के भी गवाह बनते जा रहे हैं। जिस ज़मीन को लेकर फारबिसगंज में गोली चली, उसे कोई भी सरकार एक्वायर नहीं कर सकती। वह आम रास्ता है। सरकार ने तीन बार उसकी मरम्मत कराई है।

उन्होंने आगे यह ऐलान किया कि अब 23 जून को सभी ज़िला मुख्यालयों में प्रतिरोध सभाएं होंगी। जिसमें लीज रद्द करने के साथ ही मृतकों व घायलों के परिजनों को मुआवज़ा देने की मांग की जाएगी।

इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस के वरीय नेताओं ने इस मामले को लेकर गूरूवार को पटना के कारगिल चौक पर धरना दिया। प्रदेश प्रभारी गुलचैन सिंह चारक ने इस मौके पर कहा कि फारबिसगंज गोलीकांड जैसी घटना मैंने कहीं नहीं देखी। मर चुके व्यक्ति को जिस तरह बेरहमी से लतियाया गया, वह शर्मनाक दृश्य था।

कांग्रेस ने इस अवसर पर मांग किया कि इस घटना की सीबीआई जांच हो। डीएम, एसपी, एसडीओ व थाना प्रभारी पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो। भजनपूर से तत्काल पुलिस पोस्ट हटे। पीड़ित परिवार को दस-दस लाख का मुआवज़ा और एक व्यक्ति को नौकरी, और घायल को पांच लाख मुआवज़ा मिले। गांव की इस पुरानी सड़क को कब्ज़े से मुक्त कराया जाए। यदि पार्टी की मांगे नहीं मानी गई तो कांग्रेस राज्यभर में आंदोलन करेगी।

प्रदेश अध्यक्ष चौधरी महबूब अली कैसर ने कहा कि सिंगूर और नंदीग्राम की तरह भजनपूर की यह घटना मौजूदा सरकार की चूल हिला देगी।

उधर दिल्ली में बिहार की पूर्व सांसद व पीसीसी की महासचिव रंजीता रंजन ने भी इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इस अवसर पर एक ज्ञापन भी प्रधानमंत्री को सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने फारबिसगंज घटना की सीबीआई जांच की मांग की क्योंकि उन्हें राज्य सरकार की जांच एजेंसी पर कोई भरोसा नहीं है।

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