रविवार, 14 दिसंबर 2008

लीक से हटकर.....

प्रिय दोस्तों/आदरणीय लेखकगण..........


आप लीक से हट कर सोचते तो बहुत कुछ हैं........


पर आपकी इस सोच को कोई सुनने को तैयार नहीं.........

और जैसे ही अन्दर दबी इस ‘सोच’ को बाहर लाने की कोशिश करते हैं......

तो फिर अपने ही आप से ‘कन्नी’ काटना आरंभ कर देते हैं और फिर आपकी वो सोच आपके सीने के अन्दर ही दफ़न हो कर रह जाती है।


पर हम आपकी इस सोच को सीने में दफ़न होने नहीं देंगे....... क्योंकि आपके तरह ही बहुत से लोग ऐसे हैं, जो आपके तरह ही लीक से हट कर सोचते हैं। हम आपके इस सोच को इन्हीं लोगों तक पहुंचाएंगे अपनी मासिक पत्रिका के माध्यम से......


जी हां! एक ऐसी पत्रिका जो वास्तव में लीक से हट कर होगी, और उसका नाम भी लीक से हट कर होगा।
अरे क्या सोच रहे हैं जनाब........ "लीक से हट कर "ही नाम है इस पत्रिका का।

दरअसल यह हमारी नहीं बल्कि आपकी पत्रिका है, जिसे हम इसी महीने प्रकाशित करने जा रहे हैं.......


तो फिर अब देर किस बात की। उठाईए क़लम और लिख डालिए अपनी उस नायाब सोच को।


क्योंकि अब वक्त है लीक से हट कर कुछ करने का...... लीक से हट कर कुछ लिखने का........


आप अपनी रचना हमें leaksehatkar@gmail.com पर भेजें।

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