गुरुवार, 8 जनवरी 2009

अपनी बात....

प्रिय पाठकगण!

‘लीक से हटकर’ का परीक्षण अंक आप तक ज़रूर पहुँच गई होगी। हमारी यह पत्रिका अन्य पत्रिकाओं की तरह ताम-झाम से युक्त नहीं है। वो इसलिए कि यह किसी पूंजीपति का भोंपू नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़े कुछ लोगों का एक मिशन है। मिशन- आम लोगों के दर्द, संघर्ष तथा उनकी खुशी को अभिव्यक्ति देना और उनकी आवाज़ बनना। हो सकता है कि हमारे इस प्रयास तथा मिशन का कुछ लोग मज़ाक भी उड़ाए, लेकिन यह भी हमारे लिए प्रेरणा होगी। और वैसे भी हम यह मानते हैं कि इस पत्रिका में हमने इस बार ‘लीक से हटकर’ कुछ भी नहीं दिया है, पर करने का प्रयास ज़रूर किया है।हमने अपने इस मासिक पत्रिका के लिए यह तय किया है कि हम संपादकीय नहीं लिखेंगे, बल्कि यह कार्य-भार आपके कंधों पर होगा। क्योंकि हम यह मानते हैं कि इस देश का हर व्यक्ति स्वयं में एक पत्रकार है, संपादक है। और वैसे भी हमारी मीडिया अपने सामाजिक दायित्व को भूल चुकी है। पत्रकारिता के सिध्दांतों व कर्तव्यों को भूल चुकी है। तो ऐसे में ज़रूरत है कि देश का हर व्यक्ति हमारी इस मीडिया को उनके कर्तव्यों की याद दिलाएं। इस पत्रिका में हम ‘संपादकीय’ के बजाए ‘अपनी बात’ नामक कॉलम की शुरूआत कर रहे हैं, जहां बतौर अतिथी संपादक अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं। तो फिर देर किस बात की, बस अभी से लग जाइए अपनी बात लिखने में, क्योंकि अब वक़्त है ‘लीक से हटकर’ कुछ लिखने का, ‘लीक से हटकर’ कुछ करने का।चलते-चलते पाठकों से यह प्राथना है कि आप अपनी प्रतिक्रिया, विचार, समस्या तथा लीक से हटकर लिखी गई सामग्री ज़रूर भेजे।


धन्यवाद...

अफ़रोज़ आलम ‘साहिल’

नोट:- यदि अभी तक आपको लीक से हटकर का अंक नही मिला है तो आप हमें leaksehatkar@gmail.com पर मेल करें।

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