सोमवार, 27 दिसंबर 2010

काश के वो बिनायक सेन न होता !

काश के वो बिनायक सेन न होता !

काश के वो सिखों का हत्यारा होता
या गुजरात के नरसंघार में शामिल होता 
काश के वो प्राइवेट अस्पताल के लुटेरे डाक्टरों में से एक होता 
काश के वो किसी मल्टीनेशनल कंपनी का दलाल होता 
काश के वो राष्ट्रीय धरोहर को बेचने वाला बनिया होता 
काश के वो हिंसा प्रेरित करने वाले सलवा-जुडूम का सदस्य होता 
काश के वो भाषा, धर्म, मस्जिद,मंदिर के नाम पर रथ यात्रा निकाल पता
काश के वो घूसखोर पुलिस का अफसर होता
काश के वो किसान की मेहनत से उपजे अनाज को सड़ाने वाला कृषि मंत्री होता 
काश के वो त्रिशूल बाँटने वाला धार्मिक गुरु होता 
काश के वो टीवी चेन्नलों पर नफरत फैलाने वाला कठमुल्ला होता
काश के वो जंगलों को उजाड़ कर खदान बनाने वाला मंत्री होता 
काश के वो पुलिस और सेना के अत्याचार पर गर्व करने वाला राष्ट्रवादी होता 
काश के वो अहम् की खातिर इंसानियत की बलि चढ़ाने वाले वक्तव्य देता 
काश के उसके हृदय में करुना और दया नाम की कोई चीज़ न होती 
काश के वो अपने सारे सुख और चैन तो त्याग कर गाँव की सेवा में ना जाता 
काश के वो भी हम आप जैसे सोये हुए नागरिकों में से एक होता 
काश के वो भी अपने परिवार और व्यापार में व्यस्त और मस्त होता 
काश के वो महात्मा गाँधी के आदर्शों का मज़ाक़ उड़ा पता 
काश के वो डाक्टरों द्वारा ली गयी शपथ का पालन नहीं करता 
काश के वो भ्रष्ट अन्यायपालिका और दबंगों के आगे घुटने टेक देता 
काश के वो घूस लेकर आतंक को भारत में प्रवेश देने वाला सुरक्षा कर्मी होता 
काश के वो देश को गरीबों और किसानो की समस्या से बहकाने वाली न्यूज़ सुनाता
काश के वो नोबेल शांति पुरूस्कार के विजेता ओबामा साहब के साथ नाचता गाता 
काश के उसका दिल मानवाधिकार के लिए नहीं धड़कता 
तो आज बिनायक देश का खलनायक नहीं कहलाता 
न कोई कार्यवाही होती, न ही देशद्रोही का इलज़ाम गढ़ा जाता 
उम्र क़ैद की जंजीरों से दूर वो भी सम्मानीय और स्वतंत्र होता 
काश, काश, काश !!! 
रिज़वी

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