मंगलवार, 27 जनवरी 2009

चलते-चलते......

अफ़रोज़ आलम ‘साहिल’
सागर के किनारे
चट्टानों पर चोट खाती
लहरों में से एक बूंद को उठाकर
पूछा मैं ने....
क्यों सर पटक पटक कर जान देती हो...?
सूरज से क्यों नहीं कहती
तुम्हें बादलों पर पहुंचा दे
उसने कहा....
बात न करो मुझ से
तुम देशद्रोही हो...

1 टिप्पणियाँ:

mrit ने कहा…

ये सरकारी गुंडे हैं भाई.जो सरकार आती है उससे ये सुपाड़ी लेते हैं और क्या कहूँ?और हाँ इनके पास आज भी रोलेट एक्ट है धारा 151 ज्यादा चूँ- चाँ की तो ये ये धारा लगाकर रात भर में एल.एल.बी.की डिग्री और कानून की पी.एच.डी. गोल्ड मेडल के साथ दे देते हैं मैंने कई बार देखा है एक बार तो जाने की नौबत भी आ गयी थी.जोर से बोलिए जय लोक तंत्र!जय भारत!!!!