सोमवार, 11 अक्टूबर 2010

टीवी 9 में जो हुआ, उसकी आंखो देखी दास्तान, कैसे बिका मैनेजमेंट, भरी मीटिंग में क्या बयान दिया मालिक ने, किस खबर का क्या हश्र किया मैनेजमेंट ने

टीवी 9 मुंबई में जो कुछ हुआ, उसके पीछे का इतिहास पत्रकारिता और दलाली के रिश्तों की जीती जागती सच्चाई है। टीवी 9 के मालिक चैनल चलाने के लिए अजित साही को लगभग पैर पकड़ कर अपने साथ लाए। सच्ची पत्रकारिता के लाख वादे किए। उनसे कहा कि एक नई किस्म की पत्रकारिता शुरू करनी है। सभी की बैंड बजा देनी है। नेता, बिल्डर पुलिस सभी की। आम जनता के हक की लड़ाई लड़नी है। टीवी 9 के मालिक रवि प्रकाश ने भरी मीटिंग में दावा किया कि “हमें जर्नलिज्म नहीं, मार्किस्जम और लेनिनिज्म करना है।”

अजित साही की अगुवाई में पत्रकारिता के एक नए मिशन की रूपरेखा तैयार की गई। शाम 5.30 बजे का प्रोग्राम तय हुआ, बीएमसी के रावण। जिसमें बीएमसी के करोड़ों के फंड से मलाई खाने वाले कार्रपोरेटर्स को रावण का खिताब देने की परंपरा शुरू की गई। मुंबई की गंदगी, कचरा, खराब सड़क, पानी जैसी तमाम समस्याओं के लिए बीएमसी यानि मुंबई नगरपालिका के जिम्मेदार रावण तलाशे जाने लगे। कचरे की समस्या के लिए बाकायदा कचरा कार्पोरेटर्स का खिताब देने की परंपरा शुरू की गई। ये प्रोग्राम सुपरहिट हुआ। चैनल सिर्फ खबरों के दम पर नंबर-1 हो गया। आजतक, स्टार, माझा, लोकमत सभी को पीछे छोड़कर। इधर अजित साही और उनकी टीम को जाने के लिए कहा गया, उसी शाम को ये प्रोग्राम बंद कर दिया गया। यानि बीएमसी के रावण बंद।

ये इस कहानी की शुरूआत है। अजित साही के जाते ही पूरी एडिटोरियल लाइन बदल दी गई। क्यों बदली गई। ये जानना बेहद ही दिलचस्प है। टीवी 9 के मालिक रवि प्रकाश ने भरी मींटिंग में कहा कि मुंबई पुलिस उनके फोन टैप कर रही है। चैनल को टोन डाउन किया जाए। मुंबई पुलिस के खिलाफ दिखाना बंद किया जाए। रवि प्रकाश को अब मुंबई पुलिस के फोन टैप में किस बात का डर था, ये उन्होंने नहीं बताया। आम तौर पर जर्नलिस्ट के फोन पर पुलिस की नजर हुआ करती है मगर रवि प्रकाश इस कदर क्यों डर गए, ये हैरानी की बात थी। टीवी 9 में जिस तरह से पैसे का निवेश हो रहा है, उसका सोर्स क्या है और उसका सत्यम से क्या ताल्लुक है, इस तरह की कई बातें इसके पीछे हो सकती हैं। रवि प्रकाश के चलते टीवी 9 के नए क्राइम शो चोर पुलिस मौसेरे भाई को बंद किया गया। अजित साही की अगुवाई में टीवी 9 में जो नया क्राइम शो लांच किया गया, उसका नाम था चोर पुलिस मौसेरे भाई। इस शो ने मुंबई पुलिस की पोल खोलकर रख दी। जर्मन बेकरी धमाके में जिस हिमायत बेग को मुंबई एटीएस ने गिरफ्तार किया, उसके पीछे एटीएस की दो दो थ्योरी की हकीकत चैनल ने बेनकाब कर दी। टीवी 9 के रिपोर्टर विलास अठावले और अकेला ने मुंबई एटीएस की थ्योरी की धज्जियां उड़ा दीं। बौखलाई मुंबई पुलिस को मौका दिखा रवि प्रकाश के इंवेस्टमेंट रैकेट में। कि आखिर रवि प्रकाश अपने चैनलों में जिन्हें विज्ञापन भी पर्याप्त नहीं मिलते हैं, आखिर पैसा कहां से लगा रहे हैं।

चोर पुलिस मौसेरे भाई के बाद मैनेजमेंट के अगले टार्गेट था रात 8.30 पर जाने वाला शो, बिल्डर चार सौ बीस। इस शो में बड़े बड़े बिल्डरों के रैकेट का भंडाफोड किया जाता था। हीरानंदानी, दीवान बिल्डर्स, लोढ़ा जैसे बड़े बिल्डरों के खिलाफ स्टोरी की गईं। कि किस तरह से इन लोगों ने गरीबों के घर छीने। फर्जी तरीके से जमीने हथियाईं। ग्रीन जोन में घुस गए। मुंबई की समुद्री चौपाटी तक को नहीं छोड़ा। बिल्डर चार सौ बीस का ये शो रातो-रात चर्चा का विषय बन गया। ये काम करने की कूवत किसी में नहीं थी। चैनल का नाम लोगों की जुबान पर था। मगर चैनल के मालिकों और इंवेस्टर्स की नींद हराम हो चुकी थी। दबाव पड़ने शुरू हुए कि कुछ बिल्डरों को बख्शा जाए। किस तरह से टीवी 9 मैनेजमेंट ने घुटने टेके, इसका सबूत यह है कि जिस दिन अजित साही और उनकी टीम को बाहर का रास्ता दिखाया गया, उसी दिन से ही बिल्डर चार सौ बीस का प्रोग्राम बंद कर दिया गया। यानि बिल्डरों के खिलाफ खबर बंद। रवि प्रकाश चाहते थे कि चैनल को स्टैबलिश करने के लिए शुरू में जमकर एंटी खबरें चलाई जाएं और स्टैबलिश होते ही सभी कुछ सेट कर लिया जाए। ये हो न सका और रवि प्रकाश का चैन छिनता गया।

इसी बीच लवासा का जिन्न सामने आया। खबर मिली कि पुणे के नजदीक में कई हजार करोड़ का लवासा ड्रीम सिटी का जो प्रोजक्ट तैयार हो रहा है, उसके लिए नियम कायदों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। पुणे की प्राकृतिक संपदा से खिलवाड़ किया गया। किसानों की जमीने हड़पी गईं। एक नदी की धारा को मोड़ा गया। जबरिया सरकारी क्लीयरेंस हासिल किया गया। लवासा से जुड़े हुए लोगों में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले शामिल थी। टीवी 9 ने पूरे सात दिन इस गोरख-धंधे का खुलासा किया। इधर टीवी 9 ये खुलासा कर रहा था उधर देश के राष्ट्रीय समाचार चैनलों में लवासा के पक्ष में एड दिए जा रहे थे। मैनेजमेंट इस खबर को बर्दाश्त नहीं कर सका। दबाव पड़ने शुरू हुए कि एक बार फिर से टोन डाउन किया जाए। खबर टोन डाउन नहीं की गई, बल्कि उसके प्रोमो तक चलाए गए। रविप्रकाश इससे बेहद ही आहत हुए। ये तो फिर भी गनीमत थी। अगली खबर ने तो रवि प्रकाश के दिमाग की सारी नसें सामने रख दीं। टीवी 9 ने खबर दिखाई कि किस तरह से चिंटू शेख नाम के एक आदमी को नारायण राणे के बेटे नीतेश राणे ने गोली मारी। टीवी 9 के पास चिंटू शेख का इकबालिया बयान था। उसका खून से लथपथ विजुअल था। ये खबर सिर्फ टीवी 9 के ही पास थी। पूरे चार घंटे हम इस खबर पर बने रहे। आखिरकार नीतेश राणे के खिलाफ मुंबई पुलिस को 307 का मामला दर्ज करना पड़ा। महाराष्ट्र के एक कददावर मंत्री के बेटे के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज हो गया। इस बीच नारायण राणे के टीवी 9 में करीब एक दर्जन फोन आए। खबर रूकवाने की खातिर। हैरानी की बात ये थी कि इधर राणे के फोन आ रहे थे, उधर रवि प्रकाश परेशान थे कि हम राणे का पक्ष नहीं चला रहे हैं। रवि प्रकाश ने यह भी सलाह दी की पहले इस मामले में पुलिस अपना इंवेस्टिगेशन पूरा कर ले उसके बाद हम पुलिस इंवेस्टिगेशन के आधार पर ही खबर दिखाएं। इस बार उनको निराशा हाथ लगी। ऐसा करने से संपादकों ने साफ मना कर दिया।

कोई भी कहानी सबूत मांगती है। इस कहानी का सबूत यह है कि जैसे ही अजित साही और उनकी टीम को बाहर का रास्ता दिखाया गया, अगले दिन की सुबह की पहली हेडलाइन थी कि नारायण राणे के बेटे नितेश राणे निर्दोष हैं। उनके कमरे में कोई गोली चली ही नहीं थी। ये वही टीवी 9 कह रहा था जिसकी खबर के बाद राणे के बेटे के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया था। सवाल यह है कि जिस दिन अजित साही और उनकी टीम को बाहर का रास्ता दिखाया गया उसी दिन चैनल की पूरी की पूरी एडिटोरियल लाइन क्यूं बदल दी गई। क्यूं सारे एंटी प्रोग्राम बंद कर दिए गए। नितेश राणे उसी दिन निर्दोष क्यूं हो गए। लवासा का प्रोमो उसी दिन क्यूं उतार दिया गया।

और तो और, सच के सिपाही का प्रोग्राम भी बंद कर दिया गया। टीवी 9 में आरटीआई डेस्क ने सच के सिपाही का एक डेली शो शुरू किया था। इस शो में सच की लड़ाई लड़ने वाले एक्टिविस्ट, आम लोग सहित तमाम तबके से जुड़े लोगों की कहानी दिखाई जाती थी। टीवी 9 मुंबई के ऑफिस में शायद ही ऐसा कोई आरटीआई एक्टिविस्ट होगा जो न आया होगा। बाकायदा टीवी 9 में एक आरटीआई डेस्क बनाई गई थी। जिसका काम भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ आरटीआई का इस्तेमाल करके खबरें निकालना था। इस डेस्क ने एक से बढ़कर एक एक्सक्लूसिव खबरें दी। महाराष्ट्र और देश के दूसरे हिस्सों से तमाम एक्टिवस्ट को अपने अभियान में शामिल किया। जो काम कोई नहीं कर रहा था, वो काम भी करके दिखाया। ये प्रोग्राम भी उसी दिन बंद कर दिया गया जिस दिन से अजित साही और उनकी टीम को विदा किया गया। साथ आरटीआई डेस्क के तहत चलने वाला पर्दाफाश भी बलि चढ़ गई। रविप्रकाश ने बिल्डर लाबी, पुलिस लाबी, नेता लाबी के आगे घुटने टेक दिए। वे अपनी कमाई के स्रोत के खुलने के डर से बेहद परेशान थे। सत्यम से जो उनका लिंक है, उसने भी उन्हें बेबस कर दिया। अफ्रीका और अमेरिका में भी उन्होंने टीवी इंडस्ट्री में इंवेस्टमेंट किया है। उसके सोर्स के बारे में भी रवि प्रकाश ने एक रहस्यात्मक चुप्पी बनाकर रखी है। टीवी 9 के किसी भी चैनल पर विज्ञापन बेहद ही कम हैं। फिर भी रवि प्रकाश की दुकान चल रही है। पैसे का सोर्स क्या है, रवि प्रकाश इस बात पर खामोश हो जाते हैं। ये खामोशी अपने आप में बहुत कुछ इशारा करती है। क्या सत्यम की काली कमाई टीवी 9 के जरिए सफेद की जा रही है। क्या रविप्रकाश के इंवेस्टमेंट में कुछ ऐसा है जो एक दूसरे सत्यम की कहानी तैयार कर रहा है।



रवि प्रकाश के सच की कहानी आगे भी जारी रहेगी....
The Adventures of Sherlock Holmes

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