शनिवार, 1 जनवरी 2011

कम बजट में अच्छी फिल्म है इदियान

समीक्षा

आशीष कुमार अंशु

कश्मीर में 8000 लोग पुलिस की कस्टडी से लापता हैं। वे कहां हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। वे कैसे गायब हुए इसकी जानकारी उनके परिवार वालों को भी नहीं है। जब परिवार से कोई एक व्यक्ति इस तरह गायब हो जाए तो उसके पिछे एक उम्मीद रह जाती है, एक दिन उसके वापस लौट आने की।


 इसी उम्मीदको कहानी के ताने-बाने में बुनने का काम किया है, एमसीआरसी, दिल्ली के विद्यार्थियों ने। इस तरह एक सार्थक फिल्म बनी है। फिल्म के परिवेश को सही-सही दर्शाने के लिए इसकी भाषा कश्मीरी ही रखी गई है। एक परिवार से जब कोई चला जाता है, पिछे उस परिवार पर क्या बितती है, इस बात को फिल्म बड़े खुबसूरत अंदाज में रखती है और अपने पिछे कुछ सवाल भी छोड़ती है?

फिल्म में राजिन (अंजुमन निस्सार) और सद्दाफ (उम्म-ए-ऐमान) और अम्मा (उषा मट्टू) अपने अपने किरदारों में खुब जमे हैं। अफरोज आलम, अमन कलीम और मोहम्मद इरफान दार इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं, जो उन्होंने बच्चों से इतना अच्छा काम करवाया। 

इदियान में अगर बड़े अब्बु के किरदार की बात ना करें तो शायद इस फिल्म की बात पूरी नहीं हो। बड़े अब्बु की भूमिका में एम.के. रैना ने अपनी अदाकारी से इदियानमें रंग भरा है। यह फिल्म एक अच्छी पटकथा के माध्यम से कम बजट में एक बड़े मुद्दे को खुबसूरती के साथ उठाने में सफल दिखती है।

लेखक का Mail id:- ashishkumaranshu@gmail.com
साभार--  सोपानSTEP 

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

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