शनिवार, 22 मई 2010

“दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग” की कहानी...




बटला हाउस एनकाउंटर मामले में सरकारी विभागों की धांधली ज़बरदस्त रही है। तमाम सरकारी विभागों की पूरी कोशिश रही है कि इसके समस्त सच्चाईयों पर पर्दा डाले रहा जाए। इन्हीं विभागों में एक नाम और जुड़ गया है, वह विभाग है—दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने बटला हाउस एनकाउंटर मामले की जांच हेतु एक Fact Finding Committee का गठन किया। इस Fact Finding Committee में चार लोगों को शामिल किया गया। उन चार लोगों का नाम निम्नलिखित है:-

1. Mr.Maqsood Ahmed, Allama Rafiq Trust, 722- I&II Floor Community Centre, Sui Walan, Darya Ganj, New Delhi-110002.

2. Dr. D.K.Panday, DCVS, 1/49, Lalita Park, Main Vikas Marg, Laxmi Nagar, Delhi-110092.

3. Dr. Mahender Singh, Director, Bhai Veer Singh Sahitya Sadan.

4. Rev. Manoj Malaki, The Aradhana Christian Welfare Society, 3347, Christian Colony, Karol Bagh, New Delhi.


इस Fact Finding Committee के गठन के निम्नलिखित मक़सद थे:-

The following are the terms of references of Delhi Minorities Commission:-

a) To assess and analyses facts of the police action inside Flate No. L-18, 4TH Floor, Batla House.

b) To assess and analyse the action of the police subsequent to the police action.

c) To assess and analyse the communal atmosphere prevailing in the area.

d) To assess and analyse the current situation of communal harmony, peace and brotherhood.

This committee shall record the statements of the witnesses

and immediate residents of the area individually, analyse them and hold further enquiries for corroboration/derogative of the statements.

The committee shall also obtain the version of the Delhi Ploice.

The Fact Finding Committee shall submit its report within a month.

बहरहाल, इसी सिलसिले में मैंने दिनांक 06.04.2010 को सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत 10 सवालों का एक आवेदन दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग में दिया। जिसके जवाब में बताया गया कि अल्पसंख्यक आयोग ने बटला हाउस एनकाउंटर मामले में कोई रिपोर्ट नहीं बनाई है। फैक्ट फाईंडिंग टीम ने कोई रिपोर्ट आयोग में प्रस्तुत नहीं की, अतः प्रत्यक्षदर्शियों से बातों का विवरण उपलब्ध नहीं है। साथ ही यह भी बताया कि बटला हाउस एनकाउंटर के जांच के मामले में कोई खर्च आयोग द्वारा नहीं की गई है।

मेरे आखिरी सवाल के जवाब में बताया गया है कि सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के प्रवाधान 8(1)(b) और 8(1)(h) के अनुसार सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। आयोग का यह जवाब सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के साथ एक घटिया मज़ाक है।



मेरे द्वारा आवेदन में पूछे गए प्रश्न:-



1. क्या बटला हाउस एनकाउंटर के संबंध में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने कोई रिपोर्ट तैयार की है।



2. यदि हां! तो रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम के सदस्यों का नाम व उनके पद बताएं।



3. Fact finding team ने कितने प्रत्यक्षदर्शियों से बात की, उनके नाम व पते के साथ पूरा विवरण दें।



4. Fact finding team ने अपनी रिपोर्ट कितने दिनों में तैयार की है। यदि रिपोर्ट एक महीने से अधिक समय में तैयार की गई तो कारण भी बताएं।



5. क्या Fact finding team ने L-18 के उस फ्लोर का दौरा किया, जहां बटला हाउस एनकाउंटर हुआ था।



6. जब Fact finding team अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही थी, उस समय जामिया नगर का सांप्रदायिक माहौल कैसा था, उसके बारे में भी जानकारी दें।



7. Fact finding team ने जो रिपोर्ट तैयार की है, ऊसकी

प्रतिलिपी उपलब्ध कराई जाए।



8. इस रिपोर्ट को तैयार करने में आन वाले खर्चों का भी ब्यौरा दें


9. बटला हाउस एनकाउंटर से संबंधित रिपोर्ट को आयोग ने किन-किन सरकारी विभागों, गैर सरकारी संस्थानों और मंत्रालयों को सौंपी है, और उन सरकारी विभागों, गैर सरकारी संस्थानों और मंत्रालयों से मिले जवाब के बारे में भी जानकारी दें, साथ ही प्रतिलिपी भी उपलब्ध कराएं।



10. Fact finding team के सदस्यों के चयन व नियुक्ति की प्रक्रियाओं से संबंधित सभी FILE NOTING की प्रतिलिपी उपलब्ध कराएं।

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