हमारे देश भारत में जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं,उनके संचालन हेतु करोडो-अरबों रुपयों की ज़रूरत होती है। चाहे वह कार्यकर्ताओं की मीटिंग हो या नेता जी के पीछे नारे लगाने के लिए भाडे के कार्यकर्ता ,सबके लिए पैसा चाहिए। आप ख़ुद सोचिये आज के युग में किसके पास इतना वक्त है कि वह मुफ्त में काम करे। वैसे वह दौर कुछ और था जब लोग नेता जी के एक इशारे पर अपनी जान तक देने को तैयार रहते थे लेकिन अब ज़माना कुछ और है।
प्रश्न यह उठता है कि राजनितिक दलों के पास यह पैसे आते कहाँ से हैं?इसका सीधा सा जवाब है ,यह सारे पैसे चंदे द्वारा जमा किए जाते हैं। जी हाँ! उद्योगपति ,राजनितिक दलों को हमेशा से चन्दा देते आए हैं। आख़िर ये चन्दा क्यों दिए जाते हैं यह किसी से छिपा नही है। खैर उध्योग्पतियो की बात तो समझ में आती है। पर यह चन्दा जब प्राइवेट स्कूल वाले दें ,तब इसे आप क्या समझंगे?
जी हाँ! पब्लिक स्कूल वाले भी चन्दा देते हैं और यह चन्दा कोई मामूली रक़म नही है बल्कि लाखों और करोडों में है। और न जाने अंदर ही अंदर कितने चंदे और दिए गए होंगे? यह अभी-अभी तथ्य सूचना के अधिकार से उजागर हुआ है। बहरहाल हमे आपके प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा........
सोमवार, 9 जून 2008
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2 टिप्पणियाँ:
I loved this post and this blog.
Happy week.
afroz bhai.. aapke is kaam ko mai salam karta hu....
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