अभिनव उपाध्याय, आज समाज, नई दिल्ली
महीने की निर्धारित अवधि के बाद भी आरटीआई अवार्ड से संबंधित जानकारी सूचना अधिकार कानून का प्रचार प्रसार करने वाली एक संस्थान द्वारा न देने का आरोप एक आवेदक ने लगाया है। उसका कहना है कि ऐसी संस्थाएं आरटीआई का प्रचार-प्रसार के लिए जानी जाती हैं, लेकिन स्वयं एक महीने की निर्धारित अवधि के भीतर सूचना उपलब्ध नहीं कराती।
महीने की निर्धारित अवधि के बाद भी आरटीआई अवार्ड से संबंधित जानकारी सूचना अधिकार कानून का प्रचार प्रसार करने वाली एक संस्थान द्वारा न देने का आरोप एक आवेदक ने लगाया है। उसका कहना है कि ऐसी संस्थाएं आरटीआई का प्रचार-प्रसार के लिए जानी जाती हैं, लेकिन स्वयं एक महीने की निर्धारित अवधि के भीतर सूचना उपलब्ध नहीं कराती।
आवेदन कर्ता अफरोज आलम साहिल ने पब्लिक काज रिसर्च फाउंडेशन से इस संबध में सूचना मांगी थी, लेकिन उनके अनुसार सूचना देने की निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद भी इस अधिकार पर काम कर रहे लोग यदि सूचना नहीं दे रहे हैं तो निश्चित रूप से यह उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न् खड़ा करता है। आवेदक ने इस अवार्ड में होने वाले धन खर्च, संबंधित अधिकारियों के यात्रा खर्च समेत कुल 18 सवालों के जबाव मांगे थे।
इस संबंध में पब्लिक काज रिसर्च फाउंडेशन के अरविंद केजरीवाल का कहना है कि फाउंडेशन सूचना के अधिकार के दायरे में नहीं आता है, लेकिन फिर भी यह पारदर्शिता लाने के लिए संबंधित जवाब देगा। उन्होंने यह भी कहा कि आवेदक अफरोज को जानकारी देने और संबंधित कागजात देखने के लिए आफिस बुलाया था, लेकिन वह नहीं आए। उनके प्रश्न के कुछ उत्तर अभी संकलित नहीं हुए हैं, जसे यात्राओं का विवरण आदि जो आवेदक चाहे तो आकर रसीद देख सकता है। फिर भी जब आवेदन प्राप्त हुआ है उसके एक महीने के भीतर उन्हे ये संबंधित जानकारियां दे दी जाएंगीं।
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