सेवा में,
प्रथम अपीलीय अधिकारी
पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन
A-119, कौसाम्बी, गाज़ियाबाद,
उत्तर प्रदेश- 201010.
विषय:- सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत प्रथम अपील
महोदय,
मैंने सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत आपके संस्था के जन सूचना अधिकारी को दिनांक 04.01.2010 को एक आवेदन दिया था। (आवेदन की प्रतिलिपी संलग्न) लेकिन आज लगभग 40 दिनों बाद भी मुझे कोई सूचना उपलब्ध न हो सकी, जबकि सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के प्रावधानों के तहत ये काम 30 दिनों के अंदर होनी चाहिए थी। इस प्रकार यह सूचना का अधिकार क़ानून की अवहेलना है और इससे पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन की गरिमा भी कलंकित हुई है।
यहां मैं स्पष्ट कर दूं कि आपके संस्था से जुड़े अरविन्द केजरीवाल ने पिछले दिनों मीडिया (आज समाज, हिन्दी दैनिक) को यह बयान दिया कि पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आता है, लेकिन फिर भी यह पारदर्शिता लाने के लिए संबंधित जवाब देगा, लेकिन अफसोस! 40 दिनों के बाद भी आपके जन सूचना अधिकारी इस कार्य को पूरा न कर सके और कुछ भी सूचना देने में असमर्थ रहे।
एक और बयान में उन्होंने बताया कि आवेदक को जानकारी देने और संबंधित कागज़ात देखने के लिए ऑफिस बुलाया था, लेकिन वह नहीं आए। तो यहां मैं स्पष्ट कर दूं कि 13 जनवरी 2010 को उन्होंने फोन किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि “....सारा ऑफिस आपका ही है, जब चाहो, आ जाओ। वैसे तुम्हारी प्रोब्लम क्या है......” लेकिन मैंने स्पष्ट रूप कह दिया था कि इसकी सूचना आप लिखित में दें। पर ऐसा कभी नहीं हुआ। और वैसे भी सूचना का अधिकार क़ानून के तहत जानकारी लिखित रूप में दी जाती है, न कि ऑफिस में चाय पर आने की दावत दी जाती है।
महोदय, यह कितनी शर्म की बात है कि सूचना के अधिकार पर अवार्ड देने वाली संस्था अपने को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में मानता। यह तो उन तमाम संस्थाओं के लिए चिल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है जो देश में पारदर्शिता बहाल करने हेतु कार्य कर रहे हैं। और फिर पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन तो उनको बढ़ावा देने की बात करती है, जो देश में पारदर्शिता बहाल करना चाहते हैं, देश से भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते हैं।
अत: इस संदर्भ में श्रीमान से यह निवेदन है कि सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा-18 या 19(1) के तहत इस विषय पर सुनवाई करते हुए जन सूचना अधिकारी को तुरंत सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दें। साथ ही, सूचना के अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के लिए जन सूचना अधिकारी पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जुर्माना भरने का आदेश दें।
मैं आशा करता हूं कि मेरे इस अपील या शिकायत पत्र को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में तत्काल कार्यवाही की जाएगी ताकि मुझे जानकारी मिल सके और सूचना कानून में नागरिकों को दिए गए अधिकारों और पारदर्शिता पर काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों का मान व मर्यादा बनी रह सके।
आपसे न्याय की अपेक्षा सहित,
सधन्यवाद.
अफ़रोज़ आलम ‘साहिल’
c/o:- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
एफ-56/23, सर सैय्यद रोड,
बटला हाउस, ओखला, नई दिल्ली-25.
दिनांक:- 13.02.2010
(नोट:-इस अपील के साथ आवेदन की प्रतिलिपी संलग्न है।)
पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन
A-119, कौसाम्बी, गाज़ियाबाद,
उत्तर प्रदेश- 201010.
विषय:- सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत प्रथम अपील
महोदय,
मैंने सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत आपके संस्था के जन सूचना अधिकारी को दिनांक 04.01.2010 को एक आवेदन दिया था। (आवेदन की प्रतिलिपी संलग्न) लेकिन आज लगभग 40 दिनों बाद भी मुझे कोई सूचना उपलब्ध न हो सकी, जबकि सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के प्रावधानों के तहत ये काम 30 दिनों के अंदर होनी चाहिए थी। इस प्रकार यह सूचना का अधिकार क़ानून की अवहेलना है और इससे पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन की गरिमा भी कलंकित हुई है।
यहां मैं स्पष्ट कर दूं कि आपके संस्था से जुड़े अरविन्द केजरीवाल ने पिछले दिनों मीडिया (आज समाज, हिन्दी दैनिक) को यह बयान दिया कि पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन सूचना के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आता है, लेकिन फिर भी यह पारदर्शिता लाने के लिए संबंधित जवाब देगा, लेकिन अफसोस! 40 दिनों के बाद भी आपके जन सूचना अधिकारी इस कार्य को पूरा न कर सके और कुछ भी सूचना देने में असमर्थ रहे।
एक और बयान में उन्होंने बताया कि आवेदक को जानकारी देने और संबंधित कागज़ात देखने के लिए ऑफिस बुलाया था, लेकिन वह नहीं आए। तो यहां मैं स्पष्ट कर दूं कि 13 जनवरी 2010 को उन्होंने फोन किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि “....सारा ऑफिस आपका ही है, जब चाहो, आ जाओ। वैसे तुम्हारी प्रोब्लम क्या है......” लेकिन मैंने स्पष्ट रूप कह दिया था कि इसकी सूचना आप लिखित में दें। पर ऐसा कभी नहीं हुआ। और वैसे भी सूचना का अधिकार क़ानून के तहत जानकारी लिखित रूप में दी जाती है, न कि ऑफिस में चाय पर आने की दावत दी जाती है।
महोदय, यह कितनी शर्म की बात है कि सूचना के अधिकार पर अवार्ड देने वाली संस्था अपने को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में मानता। यह तो उन तमाम संस्थाओं के लिए चिल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है जो देश में पारदर्शिता बहाल करने हेतु कार्य कर रहे हैं। और फिर पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन तो उनको बढ़ावा देने की बात करती है, जो देश में पारदर्शिता बहाल करना चाहते हैं, देश से भ्रष्टाचार खत्म करना चाहते हैं।
अत: इस संदर्भ में श्रीमान से यह निवेदन है कि सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा-18 या 19(1) के तहत इस विषय पर सुनवाई करते हुए जन सूचना अधिकारी को तुरंत सूचना उपलब्ध कराने का आदेश दें। साथ ही, सूचना के अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के लिए जन सूचना अधिकारी पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जुर्माना भरने का आदेश दें।
मैं आशा करता हूं कि मेरे इस अपील या शिकायत पत्र को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में तत्काल कार्यवाही की जाएगी ताकि मुझे जानकारी मिल सके और सूचना कानून में नागरिकों को दिए गए अधिकारों और पारदर्शिता पर काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों का मान व मर्यादा बनी रह सके।
आपसे न्याय की अपेक्षा सहित,
सधन्यवाद.
अफ़रोज़ आलम ‘साहिल’
c/o:- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
एफ-56/23, सर सैय्यद रोड,
बटला हाउस, ओखला, नई दिल्ली-25.
दिनांक:- 13.02.2010
(नोट:-इस अपील के साथ आवेदन की प्रतिलिपी संलग्न है।)
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