हावड़ा के शिवपूर की ‘नाज़मीन अख्तर’ ने बड़े शौक़ से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की थी, लेकिन कोलकाता समेत बंगाल में कहीं भी किसी ने नौकरी नहीं दी। नाज़मीन कहती है- अक्सर उनसे कहा गया कि तुम लोगों का समाज बड़ा ही कंजरवेटिव है। कैसे काम कर पाओगी। अब वो बांग्लादेश के ‘डेली न्यूज़’ अख़बार में लिखती हैं, लेकिन वहां से पैसे नहीं मिलता। थक-हार कर उन्होंने शादी कर ली। ट्यूशन कर कुछ रोज़गार करती हैं और पति के साथ दर्जी का काम बी कर लेती हैं।
साभार- सन्डे नई दुनिया
साभार- सन्डे नई दुनिया
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें