नई दिल्ली (एसएनबी)। बटला हाउस मुठभेड़ मामले में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दे चुका राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक बार भी घटनास्थल का मुआयना करने नहीं गया। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में आयोग ने बताया है कि जांच के सिलसिले में उनका कोई भी अधिकारी या प्रतिनिधि बटला हाउस नहीं गया। जांच प्रक्रिया में कुल 11 महीने का वक्त लगा और इस दौरान जांच का काम दिल्ली पुलिस ने ही किया। आयोग के जवाब से स्पष्ट है कि दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट को सच और संतोषजनक मानते हुए आयोग ने इस मामले में अपनी आ॓र से जांच करने की या अपने अधिकारियों को मौका-मुआयना करने के लिए भेजने तक की जरूरत नहीं समझी। नियमानुसार मुठभेड़ के मामले में मजिस्ट्रेट जांच की जानी चाहिए थी, तो आयोग ने ऐसा क्यों नहीं किया, इसके जवाब में आयोग ने कहा है कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने मजिस्ट्रेटी जांच के लिए आदेश पारित करने से मना कर दिया था। करीब दो वर्ष पहले 19 सितम्बर, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में हुई पुलिस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर और दो आतंकियों की मौत हो गई थी। पुलिस ने एक मौके से >क आतंकी को हिरासत में भी लिया था। बाद में मौके से भागने में सफल रहे दो अन्य आतंकियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि मुठभेड़ को लेकर दिल्ली पुलिस की भूमिका और जांच पर कई सवाल उठे। पिछले दिनों दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता अफरोज आलम साहिल ने मानवाधिकार से इस बाबत जानकारी मांगी जिससे ताजा सच्चाइयां सामने आई हैं।
मंगलवार, 15 जून 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें