शुक्रवार, 18 जून 2010

नई दुनिया से क्यों नाराज है पीएमओ?

Wednesday, 16 June 2010 07:50 B4M भड़ास4मीडिया - प्रिंट
जो अखबार मंगाए जाते हैं उनमें नई दुनिया, राजस्थान पत्रिका, प्रभात खबर आदि अखबारों के नाम नहीं : अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं से खास प्रेम है प्रधानमंत्री कार्यालय को : पीएमओ उर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय 45 पत्रिकाएं खरीदता है जिसमें 3 हिंदी की हैं. पीएमओ कुल 43 अखबार मंगाता है जिसमें अंग्रेजी के 23 और हिंदी के दस अखबार हैं. उर्दू के चार, मराठी के दो, मलयालम, पंजाबी, बांग्ला और गुजराती का एक-एक अखबार खरीदा जाता है.

सूचना के अधिकार के तहत अफरोज आलम साहिल द्वारा हासिल की गई जानकारी के मुताबिक पत्र-पत्रिकाओं पर खरीद पर वर्ष 2009-10 में पीएमओ ने करीब 12 लाख रुपये खर्च किए. हिंदी के जो अखबार पीएमओ मंगाता है, उसमें कुछ तो ऐसे हैं जिनकी प्रसार संख्या बेहद कम है. सूची में कई ऐसे अखबारों के नाम नहीं हैं जो अपने-अपने इलाकों के सरताज हैं और टाप टेन अखबारों में शुमार किए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर प्रभात खबर, नई दुनिया, राजस्थान पत्रिका आदि अखबार पीएमओ की अखबारों की सूची से गायब हैं. तो इसे क्या माना जाए? क्या इन अखबारों से पीएमओ को कोई नाराजगी है?

नई दुनिया का नाम पीएमओ द्वारा खरीदे जाने वाले अखबारों की सूची में न होने से नई दुनिया प्रबंधन भी दुखी है. इसका पता उस खबर से चलता है जो आज नई दुनिया, दिल्ली में प्रथम पेज पर प्रकाशित हुई है. भाषा सिंह की बाइलाइन इस खबर में पीएमओ के अधिकारियों, प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री सभी को लपेटा गया है. खबर में यहां तक कहा गया है कि हजार से कम सरकुलेशन वाले अखबार तो सूची में शामिल हैं पर कई बड़े हिंदी अखबार इस लिस्ट से गायब हैं. नई दुनिया में प्रकाशित खबर भी सूचना के अधिकार के तहत अफरोज आलम साहिल द्वारा मांगी गई जानकारी पर आधारित है.




0 टिप्पणियाँ: