वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति को लेकर बिहार में घमासान मचा हुआ है। सरकारी अधिकारी वक्फ की संपत्ति में बंदरबाट करते नज़र आ रहे हैं। वक्फ़ की ज़मीन पर पहले कब्ज़ा और फिर बाद में उसे बेच देने का मामला भी प्रकाश में आया है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय के नियमन के मुताबिक “वक्फ़ सम्पत्ति सदा के लिए वक्फ़ है, वक्फ़ की जायदाद की बिक्री नहीं की जा सकती।”
स्वयं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, बिहार सरकार ने सूचना के अधिकार के तहत दी गई एक सूचना में यह बता रही है कि “बहुत सी वक्फ़ सम्पत्तियों पर दबंग लोगों ने कब्ज़ा जमा लिया। नतीजा यह हुआ कि वक्फ़ की आय घटती चली गई और हाल यह हुआ कि वक्फ़ बोर्ड, जिसे वक्फ़ स्टेट की वार्षिक आय का 7 प्रतिशत वक्फ़ शुल्क के रूप में प्राप्त होता है, के स्टाफ को वेतन का लाला पड़ गया और सरकारी अनुदान पर आश्रित होना पड़ा। यदि सभी वक्फ़ सम्पत्तियों का सर्वेक्षण कराकर उसे अतिक्रमण मुक्त करा दिया जाए तो न केवल वक्फ़ बोर्ड अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा बल्कि उसकी आय से अनेक कल्याणकारी कार्य जैसे- अस्पताल, शिक्षण संस्थाएं आदि स्थापित किए जा सकते हैं, जैसा कि कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में देखने को मिलता है। मस्जिद के इमामों व मोअज्जिनों को माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में वेतन भी दिया जा सकता है।”
बिहार के पश्चिम चम्पारण ज़िला के बेतिया शहर निवासी व शहर के प्रतिष्ठित जंगी मस्जिद के मत्तवल्ली मोहम्मद रेयाजुद्दीन उर्फ टुन्ना ने अनुमण्डल दण्डाधिकारी नरकटियागंज सुरेन्द्र प्रसाद, तत्कालीन अंचलाधिकारी गौनाहा प्रमोद कुमार और अनुमण्डल दण्डाधिकारी के पेशकार अनिल ठाकुर द्वारा फर्ज़ी ढंग से वक्फ़ दस्तावेज़ 6251 बनाने और रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। इस संबंध में रेयाजुद्दीन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जी और लोकायुक्त को एक शिकायत पत्र भी भेजा है, लेकिन अभी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहीं नहीं, सूचना के अधिकार जैसे पवित्र कानून का इस्तमाल भी किया, परन्तु अभी तक कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। यह बात अलग है कि इस सूचना के अधिकार के ज़रिए ढ़ेर सारी दिलचस्प सूचनाएं जमा हो चुकी हैं, जिसके इस्तेमाल से राज्य के कई अधिकारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
मत्तवल्ली मोहम्मद रेयाजुद्दीन मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जी और लोकायुक्त को लिखे अपने शिकायत पत्र में यह आरोप लगाया है कि “16 मार्च 2008 को गौनाहा अंचलाधिकारी प्रमोद कुमार बेतिया में मेरे निवास स्थान पर आए और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनको 50 हज़ार रूपये की राशि रिश्वत में दूं, नहीं तो अनुमण्डल दण्डाधिकारी नरकटियागंज सुरेन्द्र प्रसाद और पेशकार अनिल ठाकुर मिलकर और षड़यंत्र रच कर बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की गौनाहा में स्थित करीब साढ़े 13 बिघा ज़मीन पर कब्ज़ा कर लेंगे और वो लोग कोई कोर्ट का आदेश व दस्तावेज़ कुछ नहीं मानेंगे और मैं नाक रगड़ता भी रह जाउंगा तो भी वक्फ़ की भूमि मुझे हासिल नहीं होगी।”
इसके बाद अनुमण्डल दण्डाधिकारी द्वारा बिना किसी साक्ष्य के अंचलाधिकारी गौनाहा के ज्ञापांक 214, दिनांक 02.06.08 के आलोक में वाद संख्या 565/2008 को आधार बनाकर धारा 144, 145 और 146 चलाकर वक्फ़ की भूमि पर कब्ज़ा कर लिया। अनुमण्डल दण्डाधिकारी किसी साक्ष्य को मानने को तैयार नहीं हैं और प्रमोद कुमार द्वारा बार-बार रिश्वत की मांग की गई।
आरोपकर्ता के मुताबिक़ प्रमोद कुमार, सुरेन्द्र प्रसाद और अनिल ठाकुर का षड़यंत्र और रिश्वतखोरी निम्न बिन्दुओं से भी स्पष्ट होता है।
1. वक्फ़ डिड न. 6251 वक्फ़ संख्या 1167 का मूल दस्तावेज़ 4 पृष्ठों का है, लेकिन अंचलाधिकारी और अनुमण्डल दण्डाधिकारी ने फर्ज़ी बातों के साथ 7 पृष्ठों का तैयार करा रखा है।
2. वक्फ़ संख्या 1167 और 104 के लिए मो. रेयाजुद्दीन को बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ़ बोर्ड ने मेमो नं. 1373 दिनांक 30.11.05 के द्वारा मत्तवल्ली नियुक्त किया है। मेरी नियुक्ति को दोनों अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध ठहरा रहे हैं। जबकि अनुमंडल कार्यालय, नरकटियागंज सूचना के अधिकार के तहत दी गई एक सूचना में बता रहा है कि “अंचलाधिकारी को बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ़ बोर्ड द्वारा नियुक्त मत्तवल्ली के नियुक्ति के संबंध में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।”
3. बिहार सरकार ने अपना सर्कुलर दे रखा है कि बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के किसी भी सम्पत्ति का कोई भी वाद सिविल कोर्ट में नहीं चल सकता है, इसके अलग ट्रिव्यूनल बना है। इस आधार पर अनुमण्डल दण्डाधिकारी को बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की भूमि पर धारा 145 और 146 लगाने का अधिकार ही नहीं है। इस प्रकार अनुमण्डल दण्डाधिकारी और अंचलाधिकारी बिहार सरकार के निर्णय से भी उपर जाकर अपने हित के लिए काम रहे हैं।
4. अंचलाधिकारी गौनाहा ने अपने ज्ञापांक सं. 214, दिनांक 02.06.08 द्वारा वक्फ़ की सम्पत्ति का बंटवारा कर दिया है और वक्फ़ बोर्ड द्वारा नियुक्त मत्तवल्ली को अवैध ठहरा दिया। फिर इसके विपरित अंचलाधिकारी गौनाहा अपने ज्ञापांक 163, दिनांक 22.05.09 को सूचना के अधिकार के तहत एक सूचना में लिखते हैं कि “अंचलाधिकारी को बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की सम्पत्ति में किसी भी पक्ष के हक़ या हिस्सा को निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है।”
5. अनुमण्डल दण्डाधिकारी, नरकटियागंज अपने ज्ञापांक सं. 377-29.8.2009 में सूचना के अधिकार के तहत दिए गए एक उत्तर में लिखते हैं कि अनुमण्डल दण्डाधिकारी और अंचलाधिकारी को बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की सम्पत्ति में किसी भी पक्ष के हक़ या हिस्सा को निर्धारित करने और बोर्ड द्वारा नियुक्त मत्तवल्ली के नियुक्ति के संबंध में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन इसके विपरित अंचलाधिकारी के ज्ञापांक 214, दिनांक 2.6.08 को आधार बनाकर पूरा वाद 565/2008 अस्तित्व में भी लाए हुए हैं।
6. टाईटल सूट 47/1963 और 293/68 में मत्तवल्ली के पक्ष में आदेश हो चुका है। इन टाईटल सूट के आदेश का भी अनुमण्डल दण्डाधिकारी अवहेलना कर रहे हैं।
7. पटना उच्च न्यायालय कि रिट याचिका 306/73 में भी मत्तवल्ली के पक्ष में आदेश हो चुका है। इस आदेश का भी अनुमण्डल दण्डाधिकारी अवहेलना कर रहे हैं।
8. वक्फ़ 1167 की दूसरी भूमि पर क्रिमिनल रिवीज़न सं. 119/2005 मो. रेयाजुद्दीन बनाम बिहार सरकार और सलमा खातुन और अन्य में भी धारा-144, 145 और 146 में मो. रेयाजुद्दीन के पक्ष में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश, बेतिया ने निर्णय दे दिया है। इस निर्णय का भी अनुमण्डल दण्डाधिकारी अवहेलना कर रहे हैं।
9. वाद सं.565/2008 के खिलाफ क्रिमिनल रिवीज़न संख्या 118/2008 और 203/2008 में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश, बेतिया के निर्देश का भी अनुमण्डल दण्डाधिकारी अवहेलना कर रहे हैं।
10. वाद सं.565/2008 में दिखाई गई भूमि का मालगुज़ारी कर 1965 से वर्तमान तक बिहार सरकार को मत्तवल्ली द्वारा प्राप्त होता है।
11. थाना प्रभारी सहोदरा ने अपने DR 338/08 दिनांक 8.6.08 में अनुमण्डल दण्डाधिकारी से आग्रह किया है कि उक्त भूमि पर मत्तवल्ली की हैसियत से रेयाजुद्दीन के कब्ज़ा दखल में है। जब तक वक्फ़ बोर्ड विपक्षी को मत्तवल्ली नहीं बनाता है, तब तक विपक्षी को उक्त भूमि पर जाने से निषेद्याज्ञा जारी किया जाए। लेकिन अनुमण्डल दण्डाधिकारी ने मो. रेयाजुद्दीन के खिलाफ ही निषेद्याज्ञा जारी कर दिया।
इस प्रकार आरोपकर्ता रेयाजुद्दीन के पास सिस्टम के खिलाफ आरोपों की एक लंबी फेहरिस्त है।
जब इस संबंध में अनुमण्डल दण्डाधिकारी, नरकटियागंज श्री सुरेन्द्र प्रसाद से बात की गई तो उनका कहना है कि बेतिया से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में व्यक्तिगत रूप से कुछ भी कहना मुनासिब नहीं होगा, और न ही इस मामले में मेरी कोई दिलचस्पी है। और आरोप का क्या है, आरोप तो लगते ही रहते हैं।
आरोपकर्ता को अपना शिकायत-पत्र मुख्यमंत्री सचिवालय में दिए लगभग 7 महीने पूरा हो चुका है और मुख्यमंत्री सचिवालय से कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है। आरोपकर्ता ने इसके लिए भी सूचना के अधिकार के तहत आवेदन डालकर इस शिकायत-पत्र पर हुए कार्रवाई के बारे में सूचना मांगी है। बहरहाल, एक आदमी का सिस्टम के खिलाफ जंग जारी है और माध्यम बना है सूचना का अधिकार। अब देखना है कि स्वयं को अल्पसंख्यकों का मसीहा कहने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी इस पूरे मामले में क्या रूख अपनाते हैं।
दंडाधिकारी- 09430519808.
अंचलाधिकारी- 09431818144.
शिकायतकर्ता- 09386431132.
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