सूचना के अधिकार के माध्यम से जब देश के प्रमुख दलों के चंदे का ब्यौरा जब सामने आया तो पता चला कि गैस प्लांट की वर्तमान मालिक डाओ कैमिकल्स ने भाजपा के कोष में भी चंदा जमा करवाया है। यह डाओ केमिकल्स वही कम्पनी है, जिसने वर्ष 2001 में यूनियन कार्बाइड कंपनी को खरीद लिया था और अब यूनियन कार्बाइड के दायित्व और संपदा की मालिक यही कम्पनी है।
भोपाल गैस कांड का फैसला हमारे सामने है। पीड़ितों को भले ही उचित इंसाफ नहीं मिल पाया हो, लेकिन राजनीतिक दलों के राजनेताओं को इस मुद्दे पर अब बोल कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का मौक़ा ज़रूर मिल गया है।
सच पूछे तो पिछले 25 सालों से तड़प रही भोपाल की आधी आबादी का यह मुद्दा यहां के राजनीतिक दलों के लिए कभी मुद्दा नहीं रहा। इस मुद्दे पर इन्होंने सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का ही काम किया है। यदि विशेषज्ञों की मानें तो राज्य में मोतीलाल वोरा की सरकार के बाद से किसी भी मुख्यमंत्री ने भोपाल गैस पीड़ितों के लिए ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिसे संतोषजनक कहा जाए। और तो और गैस पीड़ितों के लिए बने अस्पताल, राहत कोषों और अन्य योजनाओं पर भी ताला लगाने की बारी आती दिखाई दे रही है।
1984 में जब भोपाल गैस त्रासदी हुई थी तो भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार की मंशा, राहत कार्यों और प्रतिबद्धता को मुद्दा बनाया था। कांग्रेस के कुछ नेताओं पर विपक्ष ने यूनियन कार्बाइड का पक्ष लेने का आरोप भी लगाया। और शायद इसी का लाभ इन्हें सत्ता-सुख के रूप में मिला। उसके बाद से भाजपा ने दिल्ली में गैस पीड़ितों को लेकर यू.पी.ए. की केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू किया, तो मध्य प्रदेश में गैस पीड़ितों को लेकर कांग्रेस ने भाजपा की राज्य सरकार को घेरना शुरू किया।
इस तरह दो दशकों से इस मुद्दे पर राजनीति होती रही, और भोपाल गैस पीड़ित इंसाफ के लिए कभी दिल्ली तो कभी मध्य प्रदेश का चक्कर काटते रहें। 29 मई 2008 को केन्द्र सरकार ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पीड़ितों को आश्वासन दिया था कि सरकार उनकी मांगों एंव सुनवाई के लिए एक आयोग बनाएगी। लेकिन आगे क्या हुआ, वो आप सब को पता ही है। पीड़ितों ने प्रधानमंत्री निवास पर भी प्रदर्शन किया, पर हुआ वही ढ़ाक के तीन पात...
उधर भाजपा भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस को ही दोषी मानती रही और उनके आंदोलनों को हर तरह से दबाने का प्रयास किया। भाजपा ने अपने को पीड़ितो के समक्ष बिल्कुल दूध का धूला साबित करते हुए कांग्रेस को ही ज़िम्मेदार ठहराया, और इंसाफ दिलाने की बात करके सत्ता-सुख भोगती रही। लेकिन कहने और करने का सच सूचना के अधिकार के माध्यम से मैंने सबके सामने रख दिया। सूचना के अधिकार के माध्यम से जब देश के प्रमुख दलों के चंदे का ब्यौरा जब सामने आया तो पता चला कि गैस प्लांट की वर्तमान मालिक डाओ कैमिकल्स ने भाजपा के कोष में भी चंदा जमा करवाया है। यह डाओ केमिकल्स वही कम्पनी है, जिसने वर्ष 2001 में यूनियन कार्बाइड कंपनी को खरीद लिया था और अब यूनियन कार्बाइड के दायित्व और संपदा की मालिक यही कम्पनी है।
डाओ केमिकल्स ने एक लाख रूपये का चंदा भारतीय जनता पार्टी को वित्तीय वर्ष 2006-07 में सिटी बैंक के ड्राफ्ट नंबर- 9189 के ज़रिए किया था। डाओ केमिकल्स से चंदा लेने का मुद्दा सामने आने के बाद भाजपा के लिए भोपाल गैस पीड़ितों के मुद्दे को ज़ोरदार ढ़ंग से उठाना और कांग्रेस को इस मुद्दे पर घेरना आसान नहीं रह गया। वजहें साफ हैं।
कांग्रेस को भी मध्य प्रदेश में अपनी राजनीति चमकाने का भरपूर मौका मिल गया। कांग्रेस की नेता जमुना देवी ने भाजपा द्वारा डाओ केमिकल्स से एक लाख रूपये का चंदा लेने के मामले को लेकर निर्वाचन आयोग का दरवाज़ा खटखटाया और भाजपा का पंजीयन और चुनाव चिन्ह खारिज करने की मांग की। उन्होंने यह आवाज़ उठाई कि भाजपा ने मौत के सौदागरों के संग मिलीभगत कर भाजपा ने लाखों गैस प्रभावितों के साथ क्रूर मज़ाक किया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में भाजपा का पाखंडी चरित्र उजागर हो गया है। एक ओर राज्य के भोपाल गैस त्रासदी-राहत व पुनर्वास मंत्री बाबूलाल गौर केन्द्र से 36 वार्डों के गैस पीड़ितों को अधिक मुआवज़ा देने की मांग कर रहे हैं, दूसरी ओर भाजपा उसी डाओ केमिकल्स से चंदा लेकर उपकृत हो रही है जो इस त्रासदी की पश्चातवर्ती ज़िम्मेदारी लेने से बच रही है। इधर माकपा और गैस पीड़ित संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसे भोपाल गैस त्रासदी के लाखों पीड़ितों के साथ धोखाधड़ी करार दिया।
बहरहाल, भोपाल गैस पीड़ित दोहरी त्रासदी झेल रहे हैं। अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड ने उन्हें उजाड़ ही दिया, लेकिन अवसरवादी राजनीति ने उन्हें दोबारा आबाद नहीं होने दिया। और अब कोर्ट से मिला इंसाफ भी आपके सामने है....
अफ़रोज़ आलम ‘साहिल’
1 टिप्पणियाँ:
afroz bhai good job aap un kuch logo mai se hai jo right to information ka upyog kese janhit mai karte hai ye ek abr or dikha diya jo krantiveer kehlane wale journalist kuch nahi karte wo aap ne kiya bubarak ho
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