सूचना के अधिकार के जरिए जानकारी ने देने पर जन सूचना अधिकारियों और संस्थानों पर गाज गिरनी जारी है। हाल ही में यह गाज गिरी रांची विश्वविद्यालय और इसके पूर्व पीआईओ पर। रांची विश्वविद्यालय पर पदोन्नति के लिए दोहरे मापदंप अपनाने पर 4 लाख रूपये का क्षतिपूर्ति जुर्माना लगााया है। साथ ही सूचना न देने पर विश्वविद्यालय के पूर्व जन सूचना अधिकारी पर 40 हजार रूपये का जुर्माना भी ठोंका गया। जुर्माने की यह राशि पूर्व पीआईओ सुधांधू कुमार वर्मा के वेतन से काट ली जाएगी। आयोग ने विश्वविद्यालय को सूचना देने के नौ अवसर दिए थे, लेकिन इसके बाद भी जब आवेदकों को सूचना नहीं दी गई तो सूचना आयुक्त गंगोत्री कुजूर ने यह कठोर निर्णय दिया।
यह निर्णय विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों की आरटीआई अर्जी के जवाब में आया है। प्रोफेसर अभिताभ होरे और पीएन पांडे ने विश्वविद्यालय प्रशासन से उनकी पदोन्नति में हुए भेदभाव का कारण पूछा था। इन्होंने विश्वविद्यालय से पदोन्नति के लिए वरिष्ठता को तरजीह न देने की वजह जाननी चाही थी।
प्रोफेसर होरे और पांडे ने 2005 में पोस्टग्रेजुएट जूलाॅजी विभाग में प्रमुख के पद पर पदोन्नत किए गए के एन दूबे की नियुक्ति को चुनौती दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह नियुक्ति गलत तरीकों से की गई है और इसमें उनकी वरिष्ठता का ख्याल नहीं रखा गया।
आरटीआई दायर करने से पहले श्री पांडे ने विवि के चांसलर से इसकी शिकायत की थी। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दूबे के 1973 में हुए चयन में भी गडबडी का आरोप लगाया। न्यायालय ने यह मामला वापस चांसलर को रेफर कर दिया। विश्वविद्यालय से रवैये से निराश हो श्री होरे और पांडे ने अन्ततः आरटीआई के माध्यम से इस बारे में जानकारी मांगी।
प्रारंभिक स्तर पर जब कोई जानकारी नहीं मिली तो मामला सूचना आयोग के पास पहुंचा। आयोग ने मामले में कठोर रूख अपनाने हुए विश्वविद्यालय को दो-दो लाख रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दोनों आवेदकों को देने का आदेश दिया। विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने आयोग के इस निर्णय का स्वागत किया है।
सोमवार, 7 जुलाई 2008
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