हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले में एक को-आपरेटिव बैंक अधिकारियों की मनमानी का मामला सूचना के अधिकार जरिए उजागर हुआ है। कुरूक्षेत्र सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक के इन अधिकारियों ने बीमा कंपनियों के साथ मिलकर गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हुए 53352 किसानों का बीमा कर दिया और प्रीमियम राशि उनके खातों से काट ली। जबकि किसानों को इसका पता भी नहीं चला। अधिकारियों द्वारा किसानांे की बीमा पोलिसी का यह गडबडझाला चार साल तक चलता रहा। इन चार सालों में किसानों के खातों से कुल 31.19 लाख रूपए प्रीमियम के रूप में वसूले गए। किसानों के प्रीमियम की यह राशि लोन के जरिए हासिल की गई। इन अधिकारियों ने साल 2003 में मरकंडा को-आपरेटिव सोसाइटी, शाहबाद सोसाइटी के 1754 किसानों का और कैथल को-आपरेटिव सोसाइटी के 738 किसानों का बीमा किया। इन किसानों के खातों से कुल 1.39 लाख की प्रीमियम राशि काट ली गई। किसानों को लगा कि यह काम किसी सरकारी योजना के तहत किया जा रहा है, इस कारण उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की। किसानों की आपत्ति न होने पर इन अधिकारियों का उत्साह और बढ़ गया और उन्होंने अगले साल भी अपने गलत कृत्यों को जारी रखा।
साल 2004 में इन अधिकारियों ने विभिन्न को-आपरेटिव सोसाइटी के 25715 किसानों का बीमा कर दिया और 15.05 लाख की प्रीमियम राशि उनके खाते से काट ली। इसी प्रकार 2005 में 16 को-आपरेटिव सोसाइटी के 17594 किसानों का बीमा कर दिया गया और 10.24 लाख की प्रीमियम राशि काट ली। साल 2006 में अजरावर, थास्की, मिरंजी, रोहती, झाखवाला, इस्माइलाबाद, आमिन और ज्योतिसर को-आपरेटिव सोसाइटी के 7551 किसानों का बिना बताए बीमा कर दिया गया। इन किसानों की कुल प्रीमियम राशि 4.50 लाख थी जो उनके खातों से काट ली गई।
ये हैरान करने वाले तथ्य हाल ही में किसान और सामाजिक कार्यकर्ता गुलाब सिंह द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दायर अर्जी के जवाब में सामने आए हंै। उन्होंने सूचना के अधिकार के माध्यम से कुरूक्षेत्र सेन्ट्रल को-आपरेटिव बैंक के मेनेजिंग डायरेक्टर से इस मामले में सूचनाएं मांगी थीं।
सोमवार, 7 जुलाई 2008
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