सोमवार, 7 जुलाई 2008

मणिपुर के गृह विभाग पर आरटीआई न मानने का आरोप

सेंटर फोर आर्गनाईजेशन रिसर्च एंड एजुकेशन अर्थात कोर ने मणिपुर के गृह विभाग पर आरटीआई कानून न मानने का आरोप लगाया है। कोर के संयोजक वाहेंगबम जोयकुमार ने गृह विभाग के राज्य जन सूचना अधिकारी से आरटीआई कानून के तहत जानकारी मांगी थी, जिसे देने से मना कर दिया गया।
31 अगस्त 2007 में अपनी अर्जी में जोयकुमार ने राज्य सुरक्षा कमीशन, राज्य स्तर के पुलिस शिकायत प्राधिकरण और जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरण के नाम, पते, शैक्षणिक योग्यताएं, आफिस क पते और चालू टेलिफोन नंबरों की जानकारी मांगी थी। अपील में पुलिस अधीक्षक, पुलिस स्टेशनों, मोबाइल नंबरों की सूचना और बंद हुए नंबरों की वजह पूछी गई थी। जवाब में राज्य जन सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया कि भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के अलावा मणिपुर पुलिस आरटीआई के तहत सूचना देने के लिए बाध्य नहीं है। जानकारी न मिलने पर प्रथम अपील प्राधिकरण में एक अन्य अपील की गई। लेकिन नियत समय पर वहां से भी कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद जोयकुमार ने मणिपुर सूचना आयोग में अपील दायर की।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग ने अपने निर्णय में राज्य जन सूचना अधिकारी को दो सप्ताह के भीतर जानकारी देने को कहा। जन सूचना अधिकारी पर सूचना ने देने पर कारण बताओ नोटिस और 1500 रूपये का जुर्माना भी किया गया। अंत में जन सूचना अधिकारी द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई लेकिन उसमें अधिकांश प्रश्नों के उत्तर नहीं थे। जवाब में राज्य स्तर के पुलिस शिकायत प्राधिकरण और जिला स्तर के पुलिस शिकायत प्राधिकरण के आफिस के पते और टेलिफोन नंबर नदारद थे। पुलिस अधीक्षक और पुलिस स्टेशन के टेलिफोन के नंबरों की जानकारी भी नहीं थी।
जन सूचना अधिकारी के जवाबों से असंतुष्ट जोयकुमार ने दूसरी अपील दायर की दी है और राज्य पुलिस पर लोगों की सुरक्षा न करने का आरोप लगाया है।

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