शुक्रवार, 4 जुलाई 2008
कश्मीर में सूचना का अधिकार एक मजाक
कश्मीर में मानवाधिकार का हनन और मानव गुमशुदा एक आम समस्या है। लेकिन मानवाधिकार के हनन और गुमशुदा व्यक्तियों की जानकारी हासिल करना यहाॅ टेढ़ी खीर है। संपूर्ण भारत में सूचना का अधिकार के तहत मानवाधिकार से संबंधित सूचना उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन जम्मू कश्मीर ऐसी सूचना के लिए स्टेट सीक्रेट के अन्तर्गत रखा जाता है। एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के अनुसार कश्मीर में सूचना का अधिकार एक मजाक बना कर रख दिया गया है। साथ ही कहा कि यहाॅ ऐसे जानकारी प्राप्त करने के लिए अन्य कोई प्रावधान भी नहीं है। ग्रोवर ने यह सब बात एसोसियसन आॅफ परेन्ट्स आॅफ डिसएपीएर्ड पर्सनस के द्वारा आयोजित के एक कार्यशाला में कही। साथ ही श्री मति ग्रोवर ने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि वह यहाॅ सैन्य शासन स्थापित कर रखा और जबकि अन्तर्राष्ट्रीय फोरम में यहाॅ की एक खूबसूरत तस्वीर पेश की जाती है। श्री मति ग्रोवर ने गुमशुदा हुए लोगो के रिश्तेदारों को सलाह दिया कि वह आर्मी और अन्य सुरक्षा एजेन्सियों के खिलाफ शिकायत करें। साथ ही कहा कि इन्टरनेशनल फोरुम मंे भारत पर दवाब बनाने के लिए सुव्यवस्थित तरीका और गुमशुदा व्यक्तियों से ंसबंधित कागजी कार्यवाही करना आवश्यक है। भारत 11 साल पहले मानवाधिकार के हनन के मामने में अन्तर्राष्टीय समझौता में शामिल हुआ था। यह मामले पर पुनर्विचार नहीं हुआ । जिससे लगता है कि भारत सरकार ऐसे मामले के लिए कितना गंभीर है।
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