परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किया तो चपरासी बनने के लायक नहीं और कम अंक प्राप्त किया तो नायाब तहसीलदार के पद पर बिठा दिया। ऐसी कहानी एक-दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में सामने आए है। ये मामलें है छत्तीसगढ लोक सेवा आयोग का। जहॉ सूचना के अधिकार के तहत परीक्षाथियों के चयन में भारी संख्या में अकल्पनीय भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। अच्छी परीक्षा और अच्छा साक्षात्कार देने के बाद जब कई परीक्षार्थियों का चयन नहीं हो पाया, तो अभ्यार्थियों ने सूचना कानून के तहत इस परीक्षा के उत्तर पुस्तिका दिखाने के मांग की। आयोग ने इसे नियम-कानून का हनन का दलील देकर उत्तर पुस्तिका दिखाने से मना कर दिया। लेकिन बड़ी संख्या में छात्रों के आंदोलन के बाद बात वहॉ के विधानमंडल तक पहुंची तो पहली खेप में 15 छात्रों की उत्तर पुस्तिका दिखाई गई। लेकिन इसके तुरंत बाद केन्द्रीय सूचना आयोग के आदेश के तहत और उत्तर पुस्तिका दिखाने से मना कर दिया गया। दिखाइ गई 15 उत्तर पुस्तिका को देखने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिसमें पाया गया कि उस 15 उत्तर पुस्तिका में से 9 उत्तर पुस्तिका के जांच में गड़बड़ है। इनमे 300 अंक के एक विषय, जिसमें 60 अंक के 5 प्रश्न थे। जिसके उत्तर पुस्तिका में 60 अंक के उत्तर को 75-75 अंक का मानकर केवल चार उत्तरों को ही जॉचा गया। इसी विषय के कुछ अन्य उत्तर पुस्तिका के 5 प्रश्नों में दो प्रश्न को 50-50 अंक और शेष 3 को 60-60 अंक के आधार पर जांच कर दिया गया था। साथ ही प्रश्न के सही जवाब लिखने पर 20 में से 10 अंक मिले और इसी प्रश्न के असंबंधित उत्तर देने पर एक अभ्यार्थी को 20 में से 13 अंक दे दिया गया था। इसी तरह संक्षिप्त नोट के प्रश्न पर पूर्ण गलत उत्तर लिखने पर भी पूरे अंक दिए गए थे। इसके अलावा अन्य विषय में अनुवाद के सही जबाव देने पर शून्य अंक दिया गया। इस तरह की कई गड़बिड़या पाई है। आयोग द्वारा संचलित न्यायायिक सेवा परीक्षा में एक परीक्षार्थी के पूरे उत्तर पुस्तिका के जॉच के बावजूद बीच के दो पृष्ठ(पेज न 10, 11) को जांच ही नहीं किया गया था। इसी प्रकार आयोग के गूढ़ हथियार स्केलिग प्रणाली में भारी गड़बड़ी पाई गई है। राजेश कुमार(रोल न 105188 वर्ष 2003) के सांिख्यकी के 300 अंक की परीक्षा में स्केलिंग के बाद 304 अंक दे दिया गया था। एक अन्य अभ्यार्थी ग्रजेस प्रताप सिंह(रोल न 66136) अपराध शास्त्र में 233 अंक मिले थे जिनका स्केलिंग बाद शून्य कर दिया गया था। इसके अलावा एक अन्य चयनित छात्र राजू सिंह चौहान (रोल न 31106) ने एक वैकल्पिक विषय में 182 अंक प्राप्त किए थे जिनका अंक स्केलिग के बाद 188 अंक कर दिया गया। इसी तरह दो अन्य छात्र जिन्होंने एक सांख्ययिकी में 235-235 अंक प्राप्त किए थे। स्केलिंग के बाद उसे शून्य बना दिया गया। मानव शास्त्र विषय के छ: विद्यार्थियों (16834, 102564, 40912, 77632, 97129, 102526) ने 300 में प्रत्येक ने 200 अंक प्राप्त किए थे। जिसे स्केलिंग के बाद क्रमश: 170, 210, 205, 196, 196, और 239 कर दिया गए थे। इसी परीक्षा में वषाZ डोगरे का कर्ट माक्र्स से उपर 1290 अंक प्राप्त करने के बाद भी चयन नहीं किया गया। जबकि उससे नीचे 1274, 1273, 1247 अंक प्राप्त करने वाले कई अभ्यार्थियों का चयन कई पदों पर चयनित किया गया है। इसी प्रकार इस परीक्षा की टॉपर रही पदमीनि भोई जिन्होंने कुल अंक 1481 प्राप्त किए थे और स्केलिग के बाद इसका कुल अंक 1501 कर दिया गया। साथ ही कुन्दर कुमार जिन्होंने कुल अंक 1523 अंक प्राप्त किए थे। जिनका स्केलिंग के बाद कुल अंक 1314 कर दिया गया। लेकिन कुन्दन का किसी भी पद पर चयन नहीं सका था। इन्हीं आंकडे़ के आधार पर बिलासपुर उच्च न्यायालय में रिट दायर की गई, तो आयोग के अध्यक्ष अशोक दरवाड़ी ने स्वीकार किया कि आयोग ने परीक्षा में बड़ी मात्रा में गड़बड़ी की है। जिस पर उच्चतम न्यायालय में केस चल रही है। जिन्हें वर्तमान मे जमानत पर रिहा किया गया है। साथ ही आयोग के एक अन्य सदस्य अमोद सिंह फरार है।
गुरुवार, 10 जुलाई 2008
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में भारी अनियमितता
परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किया तो चपरासी बनने के लायक नहीं और कम अंक प्राप्त किया तो नायाब तहसीलदार के पद पर बिठा दिया। ऐसी कहानी एक-दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में सामने आए है। ये मामलें है छत्तीसगढ लोक सेवा आयोग का। जहॉ सूचना के अधिकार के तहत परीक्षाथियों के चयन में भारी संख्या में अकल्पनीय भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। अच्छी परीक्षा और अच्छा साक्षात्कार देने के बाद जब कई परीक्षार्थियों का चयन नहीं हो पाया, तो अभ्यार्थियों ने सूचना कानून के तहत इस परीक्षा के उत्तर पुस्तिका दिखाने के मांग की। आयोग ने इसे नियम-कानून का हनन का दलील देकर उत्तर पुस्तिका दिखाने से मना कर दिया। लेकिन बड़ी संख्या में छात्रों के आंदोलन के बाद बात वहॉ के विधानमंडल तक पहुंची तो पहली खेप में 15 छात्रों की उत्तर पुस्तिका दिखाई गई। लेकिन इसके तुरंत बाद केन्द्रीय सूचना आयोग के आदेश के तहत और उत्तर पुस्तिका दिखाने से मना कर दिया गया। दिखाइ गई 15 उत्तर पुस्तिका को देखने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिसमें पाया गया कि उस 15 उत्तर पुस्तिका में से 9 उत्तर पुस्तिका के जांच में गड़बड़ है। इनमे 300 अंक के एक विषय, जिसमें 60 अंक के 5 प्रश्न थे। जिसके उत्तर पुस्तिका में 60 अंक के उत्तर को 75-75 अंक का मानकर केवल चार उत्तरों को ही जॉचा गया। इसी विषय के कुछ अन्य उत्तर पुस्तिका के 5 प्रश्नों में दो प्रश्न को 50-50 अंक और शेष 3 को 60-60 अंक के आधार पर जांच कर दिया गया था। साथ ही प्रश्न के सही जवाब लिखने पर 20 में से 10 अंक मिले और इसी प्रश्न के असंबंधित उत्तर देने पर एक अभ्यार्थी को 20 में से 13 अंक दे दिया गया था। इसी तरह संक्षिप्त नोट के प्रश्न पर पूर्ण गलत उत्तर लिखने पर भी पूरे अंक दिए गए थे। इसके अलावा अन्य विषय में अनुवाद के सही जबाव देने पर शून्य अंक दिया गया। इस तरह की कई गड़बिड़या पाई है। आयोग द्वारा संचलित न्यायायिक सेवा परीक्षा में एक परीक्षार्थी के पूरे उत्तर पुस्तिका के जॉच के बावजूद बीच के दो पृष्ठ(पेज न 10, 11) को जांच ही नहीं किया गया था। इसी प्रकार आयोग के गूढ़ हथियार स्केलिग प्रणाली में भारी गड़बड़ी पाई गई है। राजेश कुमार(रोल न 105188 वर्ष 2003) के सांिख्यकी के 300 अंक की परीक्षा में स्केलिंग के बाद 304 अंक दे दिया गया था। एक अन्य अभ्यार्थी ग्रजेस प्रताप सिंह(रोल न 66136) अपराध शास्त्र में 233 अंक मिले थे जिनका स्केलिंग बाद शून्य कर दिया गया था। इसके अलावा एक अन्य चयनित छात्र राजू सिंह चौहान (रोल न 31106) ने एक वैकल्पिक विषय में 182 अंक प्राप्त किए थे जिनका अंक स्केलिग के बाद 188 अंक कर दिया गया। इसी तरह दो अन्य छात्र जिन्होंने एक सांख्ययिकी में 235-235 अंक प्राप्त किए थे। स्केलिंग के बाद उसे शून्य बना दिया गया। मानव शास्त्र विषय के छ: विद्यार्थियों (16834, 102564, 40912, 77632, 97129, 102526) ने 300 में प्रत्येक ने 200 अंक प्राप्त किए थे। जिसे स्केलिंग के बाद क्रमश: 170, 210, 205, 196, 196, और 239 कर दिया गए थे। इसी परीक्षा में वषाZ डोगरे का कर्ट माक्र्स से उपर 1290 अंक प्राप्त करने के बाद भी चयन नहीं किया गया। जबकि उससे नीचे 1274, 1273, 1247 अंक प्राप्त करने वाले कई अभ्यार्थियों का चयन कई पदों पर चयनित किया गया है। इसी प्रकार इस परीक्षा की टॉपर रही पदमीनि भोई जिन्होंने कुल अंक 1481 प्राप्त किए थे और स्केलिग के बाद इसका कुल अंक 1501 कर दिया गया। साथ ही कुन्दर कुमार जिन्होंने कुल अंक 1523 अंक प्राप्त किए थे। जिनका स्केलिंग के बाद कुल अंक 1314 कर दिया गया। लेकिन कुन्दन का किसी भी पद पर चयन नहीं सका था। इन्हीं आंकडे़ के आधार पर बिलासपुर उच्च न्यायालय में रिट दायर की गई, तो आयोग के अध्यक्ष अशोक दरवाड़ी ने स्वीकार किया कि आयोग ने परीक्षा में बड़ी मात्रा में गड़बड़ी की है। जिस पर उच्चतम न्यायालय में केस चल रही है। जिन्हें वर्तमान मे जमानत पर रिहा किया गया है। साथ ही आयोग के एक अन्य सदस्य अमोद सिंह फरार है।
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