सरकार के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय युद्धबंदियों की संख्या अलग-अलग बताई है। रक्षा मंत्रालय ने इनकी संख्या 54 जबकि विदेश मंत्रालय ने इनकी संख्या 74 आंकी है। दूसरी तरफ पाकिस्तान हमेशा कहता रहा है कि उसकी जेलों में भारतीय युद्धबंदी नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत दायर एक एक अर्जी के जवाब में यह तथ्य सामने आए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता हरीकुमार ने यह अर्जी दायर कर रक्षा और विदेश मंत्रालय के अलावा सेना के तीनों अंगों इस बारे में जानकारी मांगी थी।
अर्जी के जवाब में मिलिट्री इंटेलिजेन्स के डायरेक्टर ने कहा है कि उनके पास इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 2 अधिकारियों सहित 19 सैनिकों के लापता होने की बात कही, लेकिन पाकिस्तानी जेलों में इनके कैद होने की पुष्टि से इंकार किया।
वायुसेना मुख्यालय ने इस बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इंकार किया। जबकि नौसेना ने कहा है कि उनका कोई भी सैनिक पाकिस्तानी जेलों में नहीं है।
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान की सांवैधानिक समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि दोनों देश अपनी-अपनी जेलों में बंद युद्धबंदियों के साथ सभी कैदियों की सूची एक-दूसरे को सौंपेंगे। साथ ही उनका आदान-प्रदान भी किया जाएगा। समिति ने यह अनुमान लगाया था कि भारतीय जेलों में 450 पाकिस्तानी कैदी हैं जबकि पाकिस्तानी जेलों में युद्धबंदियों सहित 500 भारतीय कैदी हैं। इन कैदियों के छूटने में हो रही देरी वजह इनकी संख्या जानने के लिए ही आरटीआई अर्जी दायर की गई थी।
सोमवार, 7 जुलाई 2008
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