जीवन भर जिसकी सेवा की, उससे ही मिला छलावा। कुछ ऐसा ही वाक्या देखने को मिला एक शिक्षा के मंदिर में। झारखंड में रांची कॉलेज एक प्रतिष्ठित कॉलेज है। जिसके स्थापना के कुछ ही सालों बाद श्री बिन्देसर सिंह चपरासी के पद पर नियुक्त हुए थे। जिनको अक्तूबर 2007 सेवानिवृति में होनी थी। लेकिन कॉलेज प्रशासन के उसे अक्तूबर 2005 में ही सेवानिवृति दे दी। इसके बाद बिन्देसर ने इसका कारण जानना चाहा। इसके लिए उन्होंने कर्मचारी विवरण पंजी दिखानें की मांग की। इसके जवाब में कॉलेज प्रशासन ने उल्टे सीधे जवाब दिए साथ ही कहा कि उसकी सेवानृविति की आयु पूरी हो गई है। और उन्हें कर्मचारी पंजी नहीं दिखाया जा सकता। परेशान होकर बिन्देसर ने अपने कॉलेज के एक वकालत पढे़ छात्र की मदद से सूचना का अधिकार कानून का तहत आवेदन किया। जिसमें बिन्देसर ने कर्मचारी विवरण पंजी दिखाने की मांग की थी। इसके जवाब में कॉलेज प्रशासन ने पंजी दिखाई। जिसमें पाया गया कि प्रशासन ने कर्मचारी विवरण पंजी पर उनकी जन्म तिथि के साथ छेड़छाड़ की थी। अंततः बिन्देसर को उनके बचे सेवा काल के लिए नियुक्ति दे दी गई।
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