सोमवार, 7 जुलाई 2008

मिड डे मील का एक तिहाई अनाज कहां गया ?

केन्द्र की मिड डे मील योजना के अनाज का एक हिस्सा अनेक कारणों के चलते नष्ट हो जाता है, लेकिन दिल्ली में स्थिति बहुत ही खराब है। राजधानी के सरकारी स्कूलों के बच्चों को आने वाला मिड डे मील योजना का एक तिहाई अनाज नष्ट हो रहा है। जिस कारण स्कूली बच्चों को निर्धारित भोजन और कैलोरी से कम मात्रा मिल रही है। यह बर्बाद हुआ अनाज कहां गया, इस बारे में न तो सरकार को कुछ पता है और न ही दिल्ली नगर निगम को।
राज्य सरकार द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय को प्रदान किए गए आंकडों पर नजर डालें तो पता चलता है कि साल 2007-08 के दौरान भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से दिल्ली की मिड डे मील योजना के लिए 11080 टन अनाज उठाया गया। इस अनाज का 35 फीसद हिस्सा यानि 3878 टन अनाज नष्ट हो गया। परिणामस्वरूप दिल्ली के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 10.43 लाख बच्चों को मात्र 65 ग्राम पक्का भोजन ही दिया गया। इसके अलावा भोजन से निर्धारित 300 कैलोरी मात्रा से 50 कैलोरी बच्चों को कम मिली। यह तथ्य एक आरटीआई अर्जी के जवाब से सामने आए हैंैै।
दिल्ली में होने वाली मिड डे मील के अन्न की यह बर्बादी देश के किसी भी राज्य से कई गुना अधिक है। भारतीय खाद्य निगम के नियमों के मुताबिक अधिकतम 2 प्रतिशत अन्न परिवहन, भंडारण आदि के चलते नष्ट हो सकता है, जो दिल्ली में नष्ट हुए अन्न से 17 गुना कम है। खाद्य निगम ने दिल्ली में अन्न की इस बर्बादी को बहुत अधिक बताया है।
इन आंकडों ने दिल्ली की मिड डे मील मोनिटरिंग सिस्टम पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं। दिल्ली के मोनिटरिंग सिस्टम को अन्य राज्यों से काफी कमजोर माना जा रहा है। यहां महाराष्ट्र और आन्ध्रप्रदेश की तरह किसी प्रकार की समिति गठित नहीं की जाती जो मिड डे मील योजना पर निगरानी रख सके। साथ ही यह आशंका भी जताई जा रही है कि योजना के अन्न का यह हिस्सा खुदरा बाजार में पहुंचा है।

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