गुरुवार, 3 जुलाई 2008

बंगलौर इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड अब आर.टी.आई दायरे में

करनाटक में सूचना के अधिकार का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। पूर्ण सरकारी उपक्रम ही नहीं आंशिक सहायता प्राप्त निजी संस्थान भी इसके दायरे में आने लगे है। कर्नाटक सूचना आयोग ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बंगलौर इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड सूचना के अधिकार के दायरे में आता है।
बंगलौर इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड से संबंधित एक निर्णय में कर्नाटक सूचना आयोग ने एक आदेश में कहा है कि बी.आई.ए.एल. को लोक प्राधिकरण माना जाए। क्योंकि इसे राज्य सरकार व केन्द्र सरकार से वित्तीय सहायता मिलती है। यह निर्णय एक बंगलौर निवासी बेनसेन इसाक के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना कि क्या बी.आई.ए.एल. इस कानून के दायरे में आता है ? के जवाब में आया है।
आयुक्त ने बी.आई.ए.एल को निजी व सरकारी साझेदारी का बताते हुए कहा कि इसे भारत सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अधिनियम 1971 के तहत वित्तीय सहायता दी जाती है।
गौरतलब है सूचना के अधिकार कानून या अन्य किसी कानून में आंशिक रुप से वित्त पोषित की स्पष्ट व्याख्या नहीं की गई है। संभवतः यह इस कानून के इस्तेमाल से समय के साथ साथ स्वतः इससे संबंधित मामलों में न्यायालय के फैसलों से स्पष्ट हो सकेगी।
आयोग ने एक विश्लेषण में बताया कि कर्नाटक स्टेट इन्ड्रस्टियल इन्वेस्टमेंट एण्ड डेवलपमेंट कारपोरेशन ;के.एस.आई.आई.डी.सी.द्ध के द्वारा बी आई ए एल को सीधे धन दिया जाता है जो कि निजी शेयर होल्डर से अधिक है। साथ ही आयोग ने बताया कि बी.आई.ए.एल. का कुल निवेश 434.94 करोड़ है जिसमें 350 करोड़ रुपए ऋण के रुप में स्टेट सपोर्ट कमिटी द्वारा दिया गया है जो के.एस.आई.आई.डी.सी के सहयोग से चलता है। साथ ही राज्य सरकार ने अप्रत्यक्ष रुप से बी.आई.ए.सी. का इन्टी टेक्स, प्रोपटी टेक्स को पंाच साल के लिए छूट दे रखी है। साथ ही लीज की जमीन, स्टांम ड्यूटी, राजिस्टन आदि पर भी छूट दी गई है। इसके अलावा आयोग ने बी.आई.ए.एल को आदेश दिया कि श्री इसाक द्वारा मांगी गई सूचना का जवाब नियत समय में उपलब्ध कराए।

1 टिप्पणियाँ:

prahlad tanwani ने कहा…

मैंने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत एक आवेदन पत्र जन सूचना

अधिकारी कार्यालय संचालक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग छत्तीसगढ शासन को भेजा

था। वहाँ से मूल आवेदन पत्र तथा 10 रु का पोस्टल आर्डर यह कहते हुए वापिस कर

दिया गया है कि माँगी गई जानकारी जिले से सम्बंधित है अतः जन सूचना अधिकारी

जिला खाद्य कार्यालय से ली जाये।

अधिनियम की धारा 6 (3) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि "ऐसा आवेदन पत्र जो किसी

अन्य लोक प्राधिकारी से सम्बंधित है तो उसे शीघ्र ही 5 दिनों के अन्दर उस लोक

प्राधिकारी को अन्तरित कर देना चाहिये, और जिसकी सूचना आवेदक को तुरंत दे देनी

चाहिये।"
मेरे इस प्रकरण में विभाग एक ही है आवेदन पत्र जहाँ पुनः भेजने को कहा गया है वह

कार्यालय उसी विभाग का ठीक उसके अधीनस्थ है।
अब मुझे क्या करना चाहिये या तो इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग छत्तीसगढ को

करनी चाहिये अथवा फिर से एक नया आवेदन जिला खाद्य कार्यालय को देना चाहिये।
कृपया सुझाव दें।