सूचना के कानून माध्यम से नियुक्तियों में हो रहीं धांधलियों के एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। इस कानून का इस्तेमाल करते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुणे की एक सरकारी परिवहन संस्था के निदेशक की नियुक्ति में हुई अनियमितताओं का खुलासा किया है।
दरअसल बाबा साहेब गोलांडे को पुणे महानगर परिवहन महामंडल लिमिटेड पीएमपीएमएल के प्रबंधन बोर्ड का निदेशक बनाया गया है। माना जा रहा है उन्होंने यह पद अपनी राजनैतिक पहुंच के चलते हासिल किया।
पी.एम.पी.एम.एल. पर आरोप है कि उसने निदेशक की नियुक्ति कर अपने ही चयन के मापदंडों का उल्लंघन किया है। इन अनियमितताओं का खुलासा आरटीआई कानून के तहत दायर एक अर्जी से हुआ है। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता विवेक वेलांकर, सुजीत पटवर्धन, जुगल रथी, संदीप खडदेकर, विजय कंभर और प्रशांत इमामदार द्वारा दायर की गई थी। अर्जी के जवाब में कहा गया कि निदेशक पद के लिए बाबा साहेब गोलांडे का नाम निगम आयुक्त प्रवीन सिंह परदेशी और दिलीप बंध ने प्रस्तावित किया था।
गौरतलब है कि निदेशक के पद के लिए पी एम पी एम एल ने एक विज्ञापन दिया था। विज्ञापन के 11 आवेदन प्राप्त हुए जिनमें 8 आवेदनों को उसी समय निरस्त कर दिया। मात्र तीन आवेदनों को ही निदेशक पद योग्य माना गया। और इन तीनों उम्मीदवारों में भी राजनैतिक पहुंच वाले को नियुक्त किया गया। अन्य उम्मीदवारों का न तो साक्षात्कार किया गया और न ही उनके आवेदन पर विचार किया गया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री और शहरी विकास सचिव से इस मामले में दखल देने की मांग की है। साथ ही नियुक्त किए गए निदेशक को भी बर्खाश्त करने को कहा है।
सोमवार, 7 जुलाई 2008
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