शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

गैर जिम्मेदाराना हरकत पर कसरत कैसे हो

एक तरफ बच्चों की जान ली जा रही होती है और दूसरे तरफ जवाबदेह अधिकारी अपने कार्यालय से नरारद रहते है। ऐसे गैर जिम्मेदारना हरकत के पारदर्शिता के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग से उसके अधिकारियों के टूर डिटेल की मांग की गई थी। जिसे रा.म.आ. ने खारिज कर दिया। यह जानकारी एक सेवानिवृत कोमोडोर लोकेश बत्रा के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई थी। आवेदन खारिज के पक्ष में आयोग ने दलील दी कि मांगी गई सूचना बेकार है और इसका जनहित से कोई संबंध नहीं है। यह जवाब रा.म.आ. ने आवदेन के पांच महीने बाद दिया। गौरतलब है कि इस कानून के तहत अधिकारी को 30 दिनों के अंदर जवाब देना होता है। जबकि महिला आयोग के जवाब से तीन महीने पहले ही केन्द्रीय सूचना आयोग ने इस मामले में अपने हाथ बढ़ा दिए थे। साथ ही केन्द्रीय सूचना आयोग ने कहा कि मामले में रा.म.आ. की लापरवाही दिखती है। लोकेश ने अनुसार वर्ष 2005 में भी उन्होंने इससे संबंधित शिकायत पत्र भेजा था। जब नोएडा गांव से छः बच्चे गायब हो गए थे। लेकिन उस समय भी उसे कोई जवाब नहीं दिया गया था। साथ ही कहा कि अगर अधिकारियों ने उस समय अपनी सक्रियता दिखाई होती तो कई निर्दोष बच्चों की जान बच सकती थी। इससे पूर्व भी इससे मिलते-जुलते एक शिकायत के निर्णय में अधिकारियों के निजी सूचना ‘‘छुट्टियों की सूची’’ इस कानून के तहत दी गई थी। यह मामला केन्द्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से संबंधित था।

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