शुक्रवार, 4 जुलाई 2008
खर्चा रुपैया चर्चा चैवन्नी
सरकार सूचना के अधिकार कानून के लिए करोड़ों में खर्च करी है। लेकिन जम्मू कश्मीर को आम लोगों और सरकारी अधिकारियों के लिए आज भी एक सपना ही है। हाल में किए गए सर्वे के अनुसार जम्मू कश्मीर के आम लोग और सरकारी अधिकारी को भी इस कानून का अभाव है। सर्वे ने सूचना का अधिकार से संबंधित प्रश्न थे। स्थिति इनती डमाडोल दिखा कि जब सर्वे में जब एक स्वास्थय विभाग के निदेशक से प्रश्न पूछा गया। तो निदेशक ने प्रश्नों का जवाब निदेशक के निजी सहायक से पूछने को कहा। निजी सहायक ने इसे सेक्सन आॅफीसर को रेफर कर दिया। सेक्सन आॅफीसर से संपर्क करने पर उन्होंने कार्यकर्ता को प्रश्नों के जवाब के लिए दो दिन बाद आने को कहा। जब दो दिन बाद सेक्सन आॅफीसर से संपर्क किया गया तो कुछ घंटे इन्जार करने को कहा। लेकिन इसके बाद भी कार्यकर्ता को इस कानून के प्रश्नों से संबंधित जवाब नहीं मिला। यह कहानी अकेले निदेशक या निजी सहायक या सेक्सन आॅफीसर का नहीं है। बल्कि अनेक सरकारी अधिकारियों के है। जिन्हें राज्य सरकार की तरफ से इस कानून के लिए टेªनिंग भी दी गई है। गौरलतब है कि जम्मू कश्मीर में राज्य सूचना का अधिकार कानून 2004 है। जो केन्द्र के सूचना का अधिकार कानून 2005 के समान है।
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