छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के खुशीराम के लिए आरटीआई कानून वरदान साबित हुआ है। इस कानून के माध्यम से उनके दो साल से लटके पडे़ भविष्य निधि लेखा प्राप्त करने का रास्ता साफ हो गया है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी खुशीराम रायपुर कलेक्ट्रेट से 2006 में सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद जब भविष्य निधि लेने की बारी आई तो उन्हें अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ा। विभाग का कहना था कि उनके पीएफ अकांउट का विवरण उसके पास नहीं है। विभाग ने इसकी वजह अलग-अलग जगह उनके स्थानांतरण को बताया। कई बार उन्हें अपना काम करवाने के लिए घूस देने को भी कहा गया।
विभाग के अनेक चक्कर लगाने के बाद जब खुशीराम का काम नहीं हुआ तो उन्होंने कलेक्ट्रेट कार्यालय में आरटीआई दायर कर विभाग से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा। अर्जी के जवाब में खुशीराम को पता चला कि रिटायरमेंट से पहले जिन दो विभागों में उनकी पोस्टिंग हुई थी, जहां से पीएफ लेखा विवरण प्राप्त नहीं हुआ है।
दरअसल भू अभिलेख कार्यालय और बलौदा बाजार तहसील कार्यालय में स्थानांतरण के दौरान कार्यालय ने उनके पीएफ लेखा की पर्ची कलेक्ट्रेट कार्यालय नहीं पहुंचाई थी जिस कारण उन्हें पीएफ लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। यह जानकारी मिलने के बाद खुशीराम ने इन दोनों विभागों से संपर्क किया और उनका पीएफ विवरण कलेक्ट्रेट कार्यालय भेजने को कहा। इन कार्यालयों से उनका पीएफ विवरण कलेक्ट्रेट कार्यालय भेज दिया गया और खुशीराम की दिक्कतें हल हो गईं।
सोमवार, 7 जुलाई 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें